PM Modi Kanyakumari Visit: लोकसभा चुनाव अब अंतिम दौर में चल रहा है. 1 जून को आखिरी चरण के लिए वोटिंग होनी है. जिसके लिए आज चुनाव प्रचार थम गया है. 19 अप्रैल से शुरु हुआ लोकतंत्र के महापर्व में पीएम मोदी ने देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर खूब चुनाव प्रचार किया. अब लंबे चुनाव अभियान के बाद आज से पीएम मोदी कन्याकुमारी में 2 दिनों के लिए ध्यान करेंगे. उनके कार्यक्रम को लेकर पूरी तैयारी कर ली गयी है. सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं.
विवेकानंद रॉक मेमोरियल में दो दिवसीय ध्यान लगाएंगे
बता दे कि पीएम मोदी लंबे चुनाव अभियान के बाद प्रतिष्ठित विवेकानंद रॉक मेमोरियल में दो दिवसीय ध्यान लगाएंगे. ये वही स्थान है, जहां कभी स्वामी विवेकानंद ध्यान लगाया करते थे. इन सब के बीच सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की एक 33 साल पुरिनी तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है. यह तस्वीर 11 दिसंबर 1991 की एकता यात्रा की है. जो कन्याकुमारी के प्रतिष्ठित विवेकानंद रॉक मेमोरियल से शुरू हुई थी और कश्मीर में समाप्त हुई थी. उनकी यह तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद लोगों में चर्चा का विषय बन गई है. वायरल तस्वीरों में नरेंद्र मोदी और पार्टी के सीनियर नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी समेत सभी ‘एकता यात्रियों’ को स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करते देखा जा सकता है.
ध्यान मंडपम में 48 घंटे का ध्यान करेंगे
आपको बता दे कि पीएम मोदी 30 मई से एक जून तक कन्याकुमारी स्थित ध्यान मंडपम में 48 घंटे का ध्यान करेंगे.रॉक मेमोरियल स्मारक का निर्माण स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया था. ऐसा कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने देश भर में भ्रमण करने के बाद यहां तीन दिनों तक ध्यान किया था और विकसित भारत का स्वप्न देखा था. पीएम मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद इसी तरह की आध्यात्मिक यात्रा की थी. 2019 में उन्होंने उत्तराखंज का दौरा किया था और केदारनाथ मंदिर के पास एक गुफा में ध्यान लगाया था.
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क्या थी एकता यात्रा?
बताते चले कि एकता यात्रा, जिसे एकता मार्च भी कहा जाता है, दिसंबर 1991 में कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और 26 जनवरी 1992 को श्रीनगर में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के साथ समाप्त हुई थी. एकता यात्रा का नेतृत्व सीनियर बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने किया था, जबकि तत्कालीन बीजेपी कार्यकर्ता नरेन्द्र मोदी ने इस यात्रा के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाई थी. इस यात्रा का लक्ष्य दुनिया को यह संदेश देना था कि भारत आतंकी ताकतों के खिलाफ मजबूती से खड़ा रहेगा और एकजुट रहेगा. 14 राज्यों में फैली यह यात्रा लोगों के दिलों में गहराई से उतरी और राष्ट्रीय एकता के प्रति देश की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाया.
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