UP News: राज्य सरकार ने निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने के लिए राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण (State School Standards Authority) गठित करने की तैयारियां तेज कर दी है। इसके लिए नियमावली तैयार की जा रही है, जिसे जल्द ही मंजूरी दी जाएगी। इस प्राधिकरण के गठन के बाद निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाई जाएगी। अब वे अभिवावकों से मनमानी फीस नहीं वसूल सकेंगे और विभिन्न मानकों को सख्त किया जाएगा। यह एक स्वायत्त संस्था होगी, जिसमें अध्यक्ष और सदस्यों के चयन के लिए योग्यता निर्धारित की जाएगी।
माध्यमिक शिक्षा विभाग को दी जिम्मेदारी
माध्यमिक शिक्षा विभाग (Madhyamik shiksha) को नियमावली तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। वर्तमान में प्राइमरी और माध्यमिक स्कूल बेसिक शिक्षा परिषद (Basic Education Department) और माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा तैयार किए गए नियमों के अनुसार चलते हैं। इन नियमों को मौजूदा समय की आवश्यकताओं के अनुसार अपडेट किया जाएगा और सख्ती से लागू कराया जाएगा। प्राधिकरण सभी स्कूलों का मूल्यांकन भी करेगा, जिसके आधार पर ग्रेडिंग की जाएगी।
गुणवत्ता मूल्यांकन में एससीईआरटी की मदद
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) से स्कूल स्तर पर गुणवत्ता मूल्यांकन एवं प्रत्यायन के लिए मदद ली जाएगी। राज्य सरकार निजी स्कूलों (Private Schools) पर अधिक नियंत्रण लाने के लिए प्राधिकरण के माध्यम से यह कार्य करेगी। गुणवत्तापरक शिक्षा के साथ-साथ अभिभावकों की शिकायतों का तुरंत निस्तारण किया जा सकेगा। अभी डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी इसकी सुनवाई करती है, लेकिन यह इतना प्रभावी नहीं है।
सरकारी और निजी स्कूलों के संसाधनों का साझा उपयोग
सरकारी और निजी स्कूलों का पेयर (जोड़ी) बनाया जाएगा, जिससे ये विद्यालय एक-दूसरे के संसाधनों का उपयोग कर सकेंगे। यदि निजी स्कूलों में बड़े खेल के मैदान नहीं हैं, तो वे पास के सरकारी स्कूल के खेल मैदान का उपयोग कर सकेंगे। वहीं, सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी निजी स्कूलों की लाइब्रेरी और कंप्यूटर लैब आदि का उपयोग कर सकेंगे।
माध्यमिक विद्यालय क्या होते हैं?
माध्यमिक विद्यालय वे स्कूल होते हैं जो कक्षा 6 से 12 तक की शिक्षा प्रदान करते हैं। ये स्कूल सरकारी और निजी दोनों प्रकार के हो सकते हैं, लेकिन सरकारी माध्यमिक विद्यालय सरकार द्वारा संचालित होते हैं और इनके पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति राज्य या केंद्रीय शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित होते हैं।
निजी स्कूलों से कैसे अलग हैं?
निजी स्कूल निजी प्रबंधन द्वारा संचालित होते हैं और इनमें अक्सर उच्च शिक्षा शुल्क होता है। ये स्कूल अपनी स्वतंत्रता के साथ पाठ्यक्रम और अन्य गतिविधियों को संचालित करते हैं। निजी स्कूलों में संसाधन और सुविधाएं अक्सर सरकारी स्कूलों से बेहतर होती हैं।
फीस संरचना का अंतर
सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में फीस नाममात्र होती है या बिल्कुल नहीं होती, क्योंकि इन्हें सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। वहीं, निजी स्कूलों में फीस काफी अधिक होती है और इसमें कई अन्य शुल्क भी शामिल होते हैं, जैसे कि ट्यूशन फीस, एडमिशन फीस, लैब फीस आदि।