Andhra Pradesh News: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू (CM N. Chandrababu Naidu) ने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए दक्षिण भारतीय राज्यों में जनसंख्या वृद्धि की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि इन राज्यों में बुजुर्गों की आबादी तेजी से बढ़ रही है, जो भविष्य में गंभीर समस्याएं खड़ी कर सकती है। उनका मानना है कि यदि समय रहते जनसंख्या पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह समस्या और विकराल हो सकती है। इस संदर्भ में नायडू ने कहा कि उनकी सरकार उन परिवारों को प्रोत्साहन देने पर विचार कर रही है, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं।
नई नीति का विचार: अधिक बच्चे, अधिक लाभ
सीएम नायडू ने यह भी संकेत दिए कि उनकी सरकार दो से अधिक बच्चों वाले परिवारों के लिए विशेष लाभ देने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो कानून लागू है, उसके तहत दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं लड़ सकते। लेकिन अब उनकी सरकार इस कानून को निरस्त कर चुकी है और इसके स्थान पर एक नया कानून लाने की योजना बना रही है। इस नए कानून के तहत, केवल उन्हीं लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाएगी, जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे।
Read more: Maharashtra Election: भाजपा ने जारी की पहली सूची, 99 उम्मीदवारों के नाम का किया ऐलान
युवाओं का पलायन बना बड़ी समस्या
नायडू ने दक्षिण भारतीय राज्यों में प्रजनन दर में गिरावट और युवाओं के बड़े पैमाने पर पलायन को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश के कई गांवों में अब सिर्फ बुजुर्ग ही बचे हैं, क्योंकि युवा वर्ग बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहा है। यही कारण है कि राज्य की प्रजनन दर राष्ट्रीय औसत 2.1 से घटकर 1.6 रह गई है, जो भविष्य में जनसांख्यिकीय असंतुलन पैदा कर सकती है।
Read more:Delhi Blast: CRPF स्कूल के पास धमाके की गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट,NIA करेगी जांच
चीन और जापान से की तुलना
मुख्यमंत्री ने अपने बयान में चीन, जापान और यूरोप के कुछ देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की जनसंख्या वृद्ध हो रही है, और वे इस समस्या से जूझ रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आंध्र प्रदेश और दक्षिण भारत में प्रजनन दर में सुधार नहीं किया गया, तो ये राज्य भी उसी स्थिति में पहुंच सकते हैं। नायडू ने कहा कि 2047 तक भारत को जनसांख्यिकीय लाभ जरूर मिलेगा, लेकिन इस लाभ को बनाए रखने के लिए दक्षिण भारतीय राज्यों को अपनी प्रजनन दर में सुधार करना होगा।
Read more; Baramulla Encounter: सेना ने आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश को किया नाकाम, दो आतंकी हुए गिरफ्तार
अमरावती प्रोजेक्ट का फिर से आगाज़
इसी बीच, चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को बहुप्रतीक्षित अमरावती प्रोजेक्ट को दोबारा लॉन्च किया। इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य तीन साल में पूरा करना है। गौरतलब है कि 2019 में वाईएसआर कांग्रेस की सत्ता में आने के बाद इस प्रोजेक्ट को रोक दिया गया था। तब सीएम जगन मोहन रेड्डी ने तीन राजधानी—विशाखापत्तनम, कुरनूल और अमरावती—विकसित करने की योजना बनाई थी।
अमरावती बनेगी आंध्र प्रदेश की ग्रीनफील्ड राजधानी
नायडू के सत्ता में वापस आने के बाद उन्होंने अमरावती को एक बार फिर से राज्य की राजधानी बनाने की घोषणा की। करीब 52,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से इस ग्रीनफील्ड राजधानी को तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही विशाखापत्तनम को एक वित्तीय केंद्र के रूप में विकसित करने और कुरनूल में उच्च न्यायालय की बेंच स्थापित करने की भी योजना बनाई गई है। अमरावती प्रोजेक्ट के लिए किसानों से 34,241 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इसके अलावा 15,167 एकड़ सरकारी जमीन भी इस प्रोजेक्ट के लिए उपलब्ध कराई गई है। मुख्यमंत्री नायडू ने इस प्रोजेक्ट को राज्य की विकास योजनाओं का प्रमुख हिस्सा बताया और इसे समय पर पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का बयान जनसांख्यिकीय बदलाव और राज्य के विकास पर आधारित है। उन्होंने दक्षिण भारतीय राज्यों में जनसंख्या वृद्धि और युवाओं के पलायन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया है। साथ ही, अमरावती प्रोजेक्ट को फिर से शुरू कर उन्होंने राज्य के भविष्य की नींव रखने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।