Amritpal singh oath today: जेल में बंद कट्टरपंथी खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह (Amritpal singh ) और कश्मीरी नेता शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद (Rashid) ने लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद का पद हासिल किया है। आज दोनों नेता पुलिस हिरासत में संसद पहुंचकर सांसद पद की शपथ लेंगे। अदालत से मिली पैरोल के तहत वे इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनेंगे। इंजीनियर राशिद जम्मू-कश्मीर के टेरर फंडिंग केस में गैरकानूनी गतिविधियों के तहत दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं, जबकि अमृतपाल सिंह पंजाब में अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप में एनएसए के तहत असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। दोनों नेताओं को अदालत से चार दिन की पैरोल मिली है ताकि वे सांसद पद की शपथ ले सकें।
अमृतसर जिला मजिस्ट्रेट की सख्त शर्तें
अमृतसर के जिला मजिस्ट्रेट ने 10 शर्तों के तहत डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल के सुपरिंटेंडेंट को निर्देश जारी किए हैं। इनमें मुख्य शर्त यह है कि अमृतपाल शपथ ग्रहण के दौरान कोई देश विरोधी शब्दों का प्रयोग नहीं करेंगे। वे किसी धर्म, विशेष समुदाय या देश की अखंडता को प्रभावित करने वाली बातें नहीं करेंगे।
सांसद बनने की जद्दोजहद
अमृतपाल सिंह और इंजीनियर राशिद के लिए सांसद बनने का यह सफर आसान नहीं रहा है। जेल की सलाखों के पीछे रहते हुए चुनाव जीतना और अब संसद में शपथ लेना, दोनों नेताओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उनके समर्थकों का मानना है कि यह उनकी विचारधारा और संघर्ष का परिणाम है। हालांकि, उनकी राजनीतिक यात्रा की राह में कई चुनौतियां हैं।
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विपक्ष का तीखा हमला
अमृतपाल सिंह और इंजीनियर राशिद के सांसद बनने पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कई राजनीतिक दलों का मानना है कि ऐसे नेताओं का संसद में होना भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा है। विपक्ष का कहना है कि यह संविधान और कानून के खिलाफ है, और इन नेताओं के विचार और गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकती हैं।
समर्थकों ने मनाया जश्न
अमृतपाल सिंह और इंजीनियर राशिद के समर्थक उनके सांसद बनने पर जश्न मना रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि यह उनके नेताओं की मेहनत और संघर्ष का फल है। समर्थकों ने इस मौके को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि अब उनकी आवाज संसद में गूंजेगी और वे अपने समुदाय के मुद्दों को उठा सकेंगे।
सांसद बनने के बाद अमृतपाल सिंह और इंजीनियर राशिद के सामने कई चुनौतियां हैं। संसद में अपनी उपस्थिति को साबित करना और अपने मुद्दों को उठाना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी। साथ ही, जेल में बंद होने के कारण उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी और हर कदम पर सवाल उठाए जाएंगे।
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नए सांसदों का एजेंडा
अमृतपाल सिंह और इंजीनियर राशिद ने अपने-अपने क्षेत्रों में कई मुद्दों को उठाने का वादा किया है। अमृतपाल सिंह ने खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को बढ़ावा देने का इरादा जताया है, जबकि इंजीनियर राशिद ने कश्मीर मुद्दे को जोर-शोर से उठाने का फैसला किया है। उनके एजेंडे में स्थानीय विकास, सुरक्षा और रोजगार जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। सरकार ने इन नए सांसदों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने की योजना बनाई है। सुरक्षा एजेंसियां उनकी हर गतिविधि पर नजर रखेंगी और सुनिश्चित करेंगी कि वे देश विरोधी गतिविधियों में शामिल न हों। सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे संविधान और कानून के दायरे में रहें।
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न्यायालय की भूमिका
न्यायालय ने अमृतपाल सिंह और इंजीनियर राशिद को चार दिन की पैरोल दी है ताकि वे सांसद पद की शपथ ले सकें। लेकिन, न्यायालय की कड़ी शर्तों का पालन करना उनके लिए अनिवार्य होगा। इन शर्तों का उल्लंघन करने पर उनकी पैरोल रद्द की जा सकती है और उन्हें फिर से जेल में भेजा जा सकता है। अमृतपाल सिंह और इंजीनियर राशिद के सांसद बनने पर समाज में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। जहां उनके समर्थक इसे एक बड़ी जीत मान रहे हैं, वहीं समाज का एक बड़ा हिस्सा इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा मान रहा है। लोगों का कहना है कि ऐसे नेताओं का संसद में होना देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए सही नहीं है।
अमृतपाल सिंह और इंजीनियर राशिद का संसद में प्रवेश भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। उनके सांसद बनने से कई नए सवाल उठे हैं और कई नई चुनौतियां सामने आई हैं। अब देखना होगा कि ये दोनों नेता अपने पद का कैसे उपयोग करते हैं और भारतीय लोकतंत्र में क्या बदलाव लाते हैं। संसद में उनकी उपस्थिति न केवल उनके लिए बल्कि भारतीय राजनीति के लिए भी एक नया अध्याय साबित होगी।
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