Bangladesh: शेख हसीना (Sheikh Hasina) के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश (Bangladesh) में बिगड़ते हालातों को देखते हुए भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. भारत सरकार ने भारत-बांग्लादेश बॉर्डर (IBB) पर स्थिति की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया है. यह समिति विशेष रूप से बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों और अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश के अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखेगी.
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निगरानी समिति में उच्चस्तरीय अधिकारी शामिल
इस नई समिति का नेतृत्व सीमा सुरक्षा बल (BSF) के पूर्वी कमांड के अपर महानिदेशक (एडीजी) करेंगे. समिति के अन्य सदस्यों में बीएसएफ फ्रंटियर मुख्यालय दक्षिण बंगाल और त्रिपुरा के महानिरीक्षक (आईजी), भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPAI) के सदस्य (योजना और विकास), और एलपीएआई के सचिव शामिल होंगे. समिति का मुख्य उद्देश्य बॉर्डर पर स्थिति की निगरानी और बांग्लादेश में भारतीयों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों की भारत की ओर बढ़ती भीड़
बांग्लादेश (Bangladesh) में जारी हिंसा के चलते वहां के अल्पसंख्यक समुदायों में भय का माहौल है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग पश्चिम बंगाल सीमा की ओर भाग रहे हैं. सीमा पर सिलीगुड़ी, किशनगंज और मुकेश पोस्ट पर बांग्लादेशी हिंदू समुदाय के लोग बड़ी संख्या में जमा हो रहे हैं और भारत में प्रवेश की कोशिश कर रहे हैं.
बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) लगातार बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के साथ संपर्क बनाए हुए है ताकि इन नागरिकों को उनके देश में ही नियमों के अनुसार रोका जा सके। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बीएसएफ और बीजीबी के कमांडर लेवल के अधिकारी लगातार संवाद कर रहे हैं.
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वैध दस्तावेजों वाले नागरिकों को ही प्रवेश
सीमा पर बढ़ते तनाव के बावजूद, केवल उन नागरिकों को भारत में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है जिनके पास वैध कानूनी दस्तावेज हैं. इन नागरिकों को इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट (ICP) के माध्यम से भारतीय सीमा में प्रवेश दिया जा रहा है, जहां से नियमित व्यापारिक गतिविधियां भी संचालित की जा रही हैं.
भारत सरकार का बड़ा कदम
भारत सरकार द्वारा गठित इस निगरानी समिति का गठन बांग्लादेश (Bangladesh) में बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर किया गया है ताकि बॉर्डर पर स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके और भारतीय नागरिकों एवं अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. इस कदम से यह स्पष्ट है कि भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा और बॉर्डर की स्थिति पर गंभीरता से ध्यान दे रही है.
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