- ब्लड कलेक्शन सेंटर में काफी देर तक हुआ हंगामा
- CMS बोले- नए कर्मचारियों की जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज प्रशासन की है
हरदोई संवाददाता- हर्ष राज
हरदोई। मेडिकल कॉलेज के अधीन आने वाला महिला अस्पताल एक बार फिर चर्चा में आया है। जहां गर्भवती महिलाओं का ब्लड कलेक्शन कर रहे, तीन स्वास्थ्यकर्मियों पर रिश्वत लेने का आरोप है। जब दो आशा अपने अपने मरीज को लेकर कलेक्शन सेंटर में पहुंची। इसी बीच वहां बैठे स्वास्थ्यकर्मियों ने उनसे 100रूपये की मांग की। जिसके बाद वहां हंगामा बरप गया और महिलाओं ने पैसे न देने पर गाली गलौज का भी आरोप लगाया है।
बताते चले कि हरदोई का मेडिकल कॉलेज अपनी हरकतों को लेकर आए दिन सुर्खियों में बना रहता है। आज फिर एक ऐसा मामला आया है जिससे मेडिकल कॉलेज के अधीन आने वाला महिला अस्पताल सुर्खियों में आया है। महिला अस्पताल के कलेक्शन सेंटर में गर्भवती महिलाओं का ब्लड कलेक्शन किया जाता है और उनको दूसरे दिन पास के ही काउंटर से जांच रिपोर्ट दी जाती है। जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों पर ब्लड कलेक्शन के नाम पर रिश्वत का आरोप लगाकर महिलाओं ने हंगामा काट दिया।
दरअसल ये महिलाएं आशा के पद पर तैनात है और बुधवार को गर्भवती चार महिलाओं की जांच कराने कलेक्शन सेंटर गई थी। जिनसे स्वास्थ्यकर्मियों ने जांच के नाम पर 100रूपये की मांग की, इस पर मंजू शर्मा और सुजाता शर्मा ने आपत्ति जताई और पैसे देने से इंकार कर दिया। आरोप है कि इतना सुनते ही स्वास्थ्यकर्मी आगबबूला हो गए और गाली गलौज कर धमकाने लगे। फिर क्या था कुछ ही देर में अन्य महिलाओं के साथ मिलकर आशाओं ने हंगामा काट दिया और सरकारी अस्पताल में जांच के लिए किसी को पैसे न देने के लिए महिलाओं को समझाने लगी।
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ब्लड कलेक्शन सेंटर में काफी देर तक हुआ हंगामा
इस दौरान स्वास्थ्यकर्मियों ने महिलाओं के साथ अभद्रता की और कहा जो करना हो कर लीजिए। हमने पैसे नहीं लिए तुम्हे जहां जाना हो जाइए, फिर हंगामा बढ़ता देख स्वास्थ्यकर्मियों ने जांच के लिए आने वाली महिलाओं से पैसे लेने से इंकार कर दिया। जिसके करीब एक घंटे बाद वहां हो रहा बवाल शांत हो पाया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉ. अपर्णा ने लैब टेक्नीशियन केडी और घनश्याम के कहने पर पुरूष के कर्मचारियों को महिला में शिफ्ट कर दिया। साथ ही महिला के कर्मचारियों को बिना सीएमएस को जानकारी दिए हटाकर पुरूष में शिफ्ट कर दिया, जोकि डॉ. अपर्णा की हिटलरशाही को प्रदर्शित करता है। फिलहाल महिला और पुरूष अस्पताल में ड्यूटी का रोस्टर जारी करने के लिए अलग -अलग डॉक्टरों के पास जिम्मेदारी है।
मामले में जब सीएमएस डॉ. सुबोध सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आज ही नए कर्मचारी यहां लगाए गए है, जो मेडिकल कॉलेज प्रशासन की और से आए है। इसका उनके पास न ही कोई लेटर आया है और न ही इस बारे में उनको कोई जानकारी है। फिर भी उनको जैसे ही जानकारी मिली इस पर उन्होंने वहां तैनात कर्मचारियों को फटकार लगाई है। उन्होंने कहा कि मामले में अधिक जानकारी के लिए प्रिंसिपल से बात कर लीजिये।