वैसे तो हमारे हिंदू धर्म में आस्था से जुड़े हर पौधे का विशेष महत्व हैं उसी में से एक है आंवले का पेड़ जिसकी पूजा बड़ी श्रद्धा भाव के साथ की जाती हैं और व्रत भी रखा जाता हैं, मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ का पूजन करने से भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों का ही आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही धन-दौलत और सुख-समृद्धि में भी वृद्धि होती है। साथ ही कई जगहों पर आंवले के पेड़ के नीचे ही प्रसाद बनाया और खाया भी जाता है।
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कब हैं अक्षय नवमी?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल अक्षय नवमी 10 नवंबर यानि रविवार को होगी। अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इसलिए इसे अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन जो भी अक्षय नवमी का व्रत करते हैं उनको कभी धन के साथ सुख सृमद्धि की कमी नहीं होती हैं। बता दे, कि जो भी ये व्रत रखते है वो 10 नवंबर को यह व्रत रखेंगे और विष्णु भगवान की पूजा करेंगे।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु वास करते है। मान्यता ये भी है कि इस दिन आंवले के पेड़ की छांव में बैठना और उसके नीचे खाना बनाना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस भोजन का भोग सबसे पहले भगवान विष्णु को लगाएं और फिर पूरे परिवार को खिलाने से आपको श्रीहरि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
9 या 10 ?
हिंदू पंचांग के अनुसार अक्षय नवमी का आरंभ 9 नवंबर की रात को 10 बजकर 45 मिनट पर होगा और अगले दिन 10 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए उदया तिथि की मान्यता के अनुसार अक्षय नवमी 10 नवंबर की रात को मनाई जाएगी।
क्या है इसकी विशेषता?
अक्षय नवमी को लेकर कहा जाता हैं कि, अक्षय नवमी के दिन किए जाने वाले सभी कार्य का अक्षय फल सभी को प्राप्त होता है और मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से आपको सुख संपत्ति और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन किया जाने वाला जप तप और दान आपको सभी पापों से मुक्त करवाता है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु के साथ ही शिवजी का भी वास होता है। इसलिए इस दिन आंवले का दान और सेवन जरूर करना चाहिए। इस दिन परिवार समेत आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने से आपके घर में खुशहाली आती है।
कैसे करें आंवले की पूजा?
सूर्योदय से उठे फिर नहाकर साफ कपड़े पहनें और पूजा की सामग्री के साथ आंवला के पेड़ के पास साफ आसन बिछाकर बैठ जाये । उसके बाद वृक्ष पर हल्दी कुमकुम लगाए और पूजा करें। पेड़ की जड़ के पास सफाई कर जल और कच्चा दूध अर्पित करें। तने पर कच्चा सूत या मौली लपेटें, यह करते हुए वृक्ष की आठ बार परिक्रमा करें। पूजा के बाद आंवला नवमी की कथा पढ़े। पूजा के बाद सुख समृद्धि की कामना करते हुए वृक्ष के नीचे बैठ कर भोजन किए जाने का महत्व है।
क्या हैं इससे जुड़ी मान्यताएं?
पद्म पुराण के मुताबिक, आंवले को भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है, इसलिए, आंवले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु और भगवान शिव की कृपा मिलती है। कथा के मुताबिक, देवी लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ को विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर उसकी पूजा की थी।आंवला भगवान विष्णु को बहुत पसंद है। मान्यता ये भी है कि आंवले के पेड़ में सभी देवी-देवता निवास करते हैं।
वैदिक काल से ही आंवले के पेड़ को स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। गरुण पुराण के मुताबिक, भगवती और लक्ष्मी जी के आंसुओं से आंवले के पेड़ की उत्पत्ति हुई थी। आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने से सभी एकादशियों का फल मिलता है। घर में आंवले का पेड़ लगाना बहुत शुभ माना जाता है।अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।