Bareilly: बरेली (Bareilly) के फरीदपुर थाना प्रभारी, इंस्पेक्टर रामसेवक, पर सात लाख रुपये रिश्वत लेने का गंभीर आरोप लगा है. इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अगर भ्रष्टाचार का ओलंपिक होता, तो भाजपा राज में कुछ पुलिसवाले ‘हाई जंप’ में प्लेटिनम मेडल जीत सकते थे. उनका इशारा सीधे-सीधे पुलिसकर्मियों की भ्रष्ट गतिविधियों की ओर था.
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पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
बताते चले कि अखिलेश यादव ने अपनी पोस्ट में यह भी सवाल उठाया कि उच्च पुलिस अधिकारियों ने छापा क्यों मारा, जबकि उसी इंस्पेक्टर की पोस्टिंग उन्होंने ही की थी. उन्होंने पूछा कि क्या उस इंस्पेक्टर की भ्रष्ट कार्यप्रणाली की जानकारी पहले से नहीं थी? अगर हां, तो फिर उसे पोस्टिंग कैसे मिली और अगर नहीं, तो फिर वे पुलिस अधिकारी कैसे खुफिया रिपोर्ट निकालेंगे जिन्हें अपने ही लोगों की जानकारी नहीं है?
उन्होंने इसे शासन और प्रशासन दोनों की विफलता करार दिया. साथ ही, उन्होंने यह भी तंज कसा कि कहीं भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी तो नहीं हो गई हैं कि यह सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है कि किसे क्या हिस्सेदारी मिलनी चाहिए.
स्मैक तस्करी में पकड़े गए आरोपियों से रिश्वत की डील
आपको बता दे कि फरीदपुर पुलिस ने स्मैक तस्करी के आरोप में नवदिया अशोक गांव के तीन व्यक्तियों, आलम, नियाज, और अशनूर को गिरफ्तार किया था. सूत्रों के मुताबिक, तस्करों को छोड़ने के लिए इंस्पेक्टर रामसेवक ने 15 लाख रुपये की मांग की थी, लेकिन सौदा साढ़े दस लाख रुपये में तय हुआ. बाद में, सात लाख रुपये की रिश्वत लेकर दो तस्करों को छोड़ दिया गया, जबकि तीसरे आरोपी, अशनूर, को पैसे न होने के कारण हवालात में रखा गया.
हवालात की जांच में खुली पोल
जब सीओ ने थाने की हवालात का निरीक्षण किया, तो उन्हें हवालात में बंद आरोपी अशनूर मिला, जिसका थाने के रिकॉर्ड में कोई उल्लेख नहीं था. बिना किसी आधिकारिक दस्तावेज के ही उसे हवालात में बंद कर दिया गया था। पूछताछ के दौरान अशनूर ने बताया कि पुलिस ने तीन लोगों को पकड़ा था, जिनमें से दो को सात लाख रुपये की रिश्वत लेकर छोड़ दिया गया. चूंकि अशनूर के पास पैसे नहीं थे, इसलिए उसे छोड़ने के बजाय हवालात में बंद कर दिया गया.
उच्च अधिकारियों द्वारा जांच का आदेश
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, एसपी मानुष पारीक ने कहा कि मामले की जांच किसी अन्य सर्किल के सीओ से कराई जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि छोड़े गए दोनों आरोपियों के नाम सुपुर्दगी रजिस्टर में दर्ज थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मामले में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं.
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