By – Shahbaaz
लखनऊ : लोकसभा चुनाव से पहले सभी दल अपनी तैयारियों को पुख्ता कर रहे हैं, क्या बीजेपी क्या सपा और क्या कांग्रेस सभी दल चुनावी माथापच्ची में जुटे हुए हैं, एक के बाद एक अभियान करके सभी दल अपनी तैयारियों को और धार देने में जुटे हुए हैं। वहीं बात करें अगर सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी लोकसभा के लिए अपनी पार्टी को जीत का मंत्र देते हुए नजर आ रहे हैं। अखिलेश ने भी हाल ही में कई ऐसे अभियान चलाए हैं जिससे पार्टी को मजबूती मिलती हई दिखाई दी है।
अखिलेश ने बूथ को मजबूत करने के लिए हर जिले के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक भी की थी इन सबसे इतर अब अखिलेश यादव हैदराबाद जा रहे हैं जहां वो बीआरएस प्रमुख केसीआर से मुलाकात करेंगे। अखिलेश की इस मुलाकात से विपक्षी एकता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल 23 जून को हुई विपक्षी दलों की बैठक में बीआरएस प्रमुख केसीआर को दूर रखा गया था ऐसे में सवाल ये खड़े हो रहे हैं कि आखिर अखिलेश केसीआर से मुलाकात करके सियासी गलियारों में क्या संदेश देना चाह रहे हैं।
राहुल ने केसीआर पर साधा निशाना
राहुल गांधी ने तेलंगाना सीएम पर साधा निशाना साधते हुए कहा कि केसीआर का ‘रिमोट कंट्रोल’ मोदी के पास है राहुल यहीं नहीं रुके उन्होंने यहा तक कह दिया कि केसीआर की पार्टी को भाजपा की बी-टीम है। राहुल ने कहा कि कांग्रेस ऐसे किसी समूह में शामिल नहीं होगी जहां बीआरएस होगी. ऐसे में अब अखिलेश और केसीआर की मुलाकात के बाद विपक्षी एकता इसे कैसे देखती है ये देखने योग्य होगा।
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क्या अखिलेश और कांग्रेस में नहीं बनेगी बात?
कहते है दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है ऐसे में किसी भी दल के लिए यूपी फतह करना काफी अहम हो जाता है। 23 जून को विपक्ष की बैठक तो जरूर हुई लेकिन इस बैठक में भी शामिल होकर अखिलेश ने वही पुरानी बात दोहराई जो वो हमेशा से कहते चले आ रहे हैं कि जो दल जहां मजबूत हो उसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाए ऐसे में क्या सपा यूपी में कांग्रेस को कुछ ही सीटे देगी ये देखने वाली बात होगी और अगर सपा अपनी शर्त रखती भी है तो क्या कांग्रेस सपा की शर्त मानेगी भी ये देखने वाली बात होगी।