Ajmer Dargah: राजस्थान के अजमेर (Ajmer) जिले में स्थित दरगाह शरीफ को लेकर जारी विवाद में नया मोड़ आया है। यूपी के संभल में शाही जामा मस्जिद (Shahi Jama Mosque in Sambhal) के सर्वे के बाद अब अजमेर शरीफ दरगाह (Ajmer Sharif Dargah) के सर्वे का रास्ता भी साफ हो गया है। राजस्थान की निचली अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार कर ली, जिसमें अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताया गया है। यह याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दायर की थी, जिसके बाद अदालत ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है और अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
हिंदू सेना के अध्यक्ष ने पेश किए सबूत
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दायर की गई याचिका में अजमेर शरीफ दरगाह के स्थान पर पहले शिव मंदिर होने का दावा किया गया है। याचिका में इस बात की मांग की गई है कि दरगाह में पूजा करने की अनुमति दी जाए और पुरातत्व विभाग से सर्वे कराया जाए। हिंदू पक्ष ने अदालत में इस दावे को साबित करने के लिए सबूत भी पेश किए हैं। इन सबूतों में एक महत्वपूर्ण किताब का हवाला दिया गया है, जिसमें दरगाह के स्थान पर पहले एक हिंदू मंदिर होने का उल्लेख है।
1911 की किताब से मिली अहम जानकारी
इस दावे को समर्थन देने वाली एक किताब भी पेश की गई है। यह किताब अजमेर निवासी हर विलास शारदा द्वारा 1911 में लिखी गई थी। इस किताब में यह दावा किया गया है कि दरगाह के स्थल पर पहले एक हिंदू शिव मंदिर था, जिसमें पूजा और जलाभिषेक का कार्य होता था। इस किताब में यह भी उल्लेख किया गया है कि दरगाह परिसर में स्थित 75 फीट लंबा बुलंद दरवाजा दरअसल मंदिर के मलबे से बनाया गया था। इसके अलावा, दरगाह के तहखाने में गर्भगृह होने का भी दावा किया गया है, जो मंदिर के अस्तित्व को साबित करता है।
हिंदू पक्ष ने करी दरगाह में पूजा की मांग
विष्णु गुप्ता की याचिका में दरगाह में पूजा करने की अनुमति भी मांगी गई है। उनका कहना है कि यदि यह स्थल पहले हिंदू मंदिर था, तो हिंदू समाज को वहां पूजा करने का अधिकार मिलना चाहिए। साथ ही, उन्होंने दरगाह परिसर में सर्वे कराने की भी मांग की, ताकि इतिहास और पुरातत्व के तथ्यों को सही तरीके से सामने लाया जा सके।
अगली सुनवाई 20 दिसंबर को
अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई की तारीख 20 दिसंबर तय की है। इस तारीख तक संबंधित पक्षों को अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा। इस मामले में कई अन्य पक्षों का भी कहना है कि यह विवाद धार्मिक सौहार्द को प्रभावित कर सकता है, इसलिए मामले का हल जल्द से जल्द निकालने की आवश्यकता है। अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर चल रहा विवाद अब कोर्ट में पहुंच गया है, जहां हिंदू पक्ष ने इसे पहले शिव मंदिर होने का दावा किया है। याचिका के समर्थन में पेश किए गए सबूत और पुरातात्विक तथ्यों ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। अगले कुछ हफ्तों में इस मामले की सुनवाई के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि दरगाह का स्थान धार्मिक दृष्टिकोण से किस पक्ष के हिसाब से सही है।