मणिपुर में बीते 50 दिनों से भी अधिक समय से हो रही हिंसा को काबू करने के लिए सुरक्षा एजेंसियां कड़ी मेहनत कर रही हैं आपको बता दें मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसापास है
मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा
– मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसापास है.
राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है.
मणिपुर में एक कानून है. इसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं.
कब से जल रहा है मणिपुर
तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई.
इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे.
तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया.
ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है.
पिछले महीने मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था. इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था. इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते
मणिपुर में हिंसा की शुरुआत किसने की
मणिपुर में हिंसा की शुरुआत कुकी समुदाय के लोगों ने की।
इस समुदाय के विधायक चाहे वे किसी भी पार्टी के हों, अब मणिपुर से इतर अलग राज्य की मांग कर रहे हैं, जबकि राज्य में उनका ही एकाधिकार है।
दूसरी तरफ, प्राचीन भारतीय संस्कृति को सहेजकर रखने वाला मैती समुदाय भले ही आज अपने ही क्षेत्र में हाशिये पर पहुंच गया है, लेकिन वह राज्य को बांटने का विरोध कर रहा है।
मैती समुदाय का भूमि से भावनात्मक जुड़ाव है।
दस प्रतिशत क्षेत्र में ही रह सकता है मैती समुदाय
मैती समुदाय की जनसंख्या करीब 53 प्रतिशत है, लेकिन वह करीब 10 प्रतिशत क्षेत्र में ही रह सकता है। कुकी और नगा समुदाय के इंफाल घाटी में रहने पर कोई कानूनी बंदिश नहीं है।
मैती कौन हैं?
मैती हिंदू हैं। वे मणिपुर में बहुसंख्यक है। वर्तमान में वे केवल इंफाल घाटी में रहने को मजबूर हैं। इसकी वजह यह है कि उन पर अपने ही राज्य के पर्वतीय इलाकों में संपत्ति खरीदने और खेती करने पर कानूनी तौर पर रोक लगाई गई है। यहां ईसाई बन चुके कुकी और नगा समुदाय के लोग रहते हैं, जिनकी आबादी 40 प्रतिशत है। ये मणिपुर के कुल क्षेत्रफल के 90 प्रतिशत हिस्से में रहते हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर के दो दिवसीय दौरे
कांग्रेस नेता राहुल गांधी गुरुवार से मणिपुर के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान वह राहत शिविरों में जातीय हिंसा के कारण बेघर हुए लोगों से मुलाकात करेंगे। साथ ही साथ नागरिक समाज के संगठनों से बातचीत करेंगे। दरअसल यह मणिपुर में तीन मई को शुरू हुई हिंसा के बाद से कांग्रेस नेता का पूर्वोत्तर के इस राज्य का पहला दौरा है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इंफाल पहुंचने के बाद राहुल गांधी चूड़ाचांदपुर जाएंगे जहां वह राहत शिविरों का दौरा करेंगे। इसके बाद वह विष्णुपुर जिले में मोइरांग जाएंगे और बेघर लोगों से बातचीत करेंगे
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद राहुल गांधी गुरुवार को मणिपुर की राजधानी इंफाल पुहंचे हैं। इस बीच खबर है कि उनके काफिले को रोक लिया गया है। जानकारी के मुताबिक, इंफाल से कुछ दूरी पर विष्णुपुर जिले में कांग्रेस नेता के काफिले को रोका गया है। इलाके में अशांति का हवाला देकर पुलिस ने यह कदम उठाया है।
आपको बता दें इस बीच कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि राहुल गांधी के काफिले को बिष्णुपुर के पास पुलिस ने रोक दिया है। पुलिस का कहना है कि वे हमें इजाजत देने की स्थिति में नहीं हैं। राहुल गांधी का अभिवादन करने लिए लोग सड़क के दोनों ओर खड़े हैं। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्होंने हमें क्यों रोका है?
दरअसल, राहुल गांधी आज और कल यानी 29-30 जून को मणिपुर में रहेंगे। इस दौरान वह राहत शिविरों का दौरा करेंगे। वे इंफाल और चुराचांदपुर में नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे। वे राहत शिविरों का दौरा भी करेंगे।
राहुल का मणिपुर जाने का फैसला तब सामने आया है, जब हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री ने मणिपुर के हालात पर सर्वदलीय बैठक की थी। तीन मई के बाद से जातीय हिंसा में घिरे पूर्वोत्तर राज्य में कांग्रेस नेता की यह पहली यात्रा है। कांग्रेस ने राज्य की वर्तमान स्थिति के लिए भाजपा और उसकी ‘विभाजनकारी राजनीति’ को जिम्मेदार ठहराया है। इसके अलावा कांग्रेस ने मांग की है कि राज्य के मुख्यमंत्री को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए। वहां शांति बहाली के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को भेजा जाए।
मणिपुर हिंसा में चीन का हाथ: राउत
राहुल के दौरे पर उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि मणिपुर जल रहा है और प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री हवा में बाते कर रहे हैं। हमें लगा था कि PM अमेरिका जाने से पहले मणिपुर जाएंगे और वहां की जनता से बातचीत करेंगे और गृह मंत्री ने भी बैठक बुलाई थी, लेकिन कोई हल नहीं निकला। हमारी मांग थी कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल आप मणिपुर ले जाए और जनता के साथ हम संवाद प्रस्ताव करें, लेकिन प्रधानमंत्री न और कोई इस बारे में बोल रहें। मणिपुर हिंसा में चीन का हाथ है, लेकिन सरकार चीन का नाम लेने को तैयार नहीं है। अगर इस स्थिति में राहुल गांधी मणिपुर जाते हैं और वहां के लोगों से बातचीत करते हैं और शांति प्रस्तावित होती है तो हम उनके दौरे का स्वागत करते हैं
डबल इंजन की सरकार ट्रिपल समस्या वाली सरकार
वहीं, नगालैंड के AICC प्रभारी अजय कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर को खबरों से गायब कराने की कोशिश रही है। राहुल गांधी और कांग्रेस देश का ध्यान मणिपुर पर केंद्रीत कराने की कोशिश कर रही है। मणिपुर में 200 से अधिक लोगों की हत्या हुईं, 1000 से ऊपर घर जले, 700 से अधिक पूजा घर, गिरजाघर तोड़े गए। राज्य में कानून-व्यवस्था धवस्त हो चुकी है। यह डबल इंजन की सरकार ट्रिपल समस्या वाली सरकार बन चुकी है। राहुल गांधी पीड़ित लोगों से मिलेंगे। राहुल गांधी के दौरे से प्रधानमंत्री को सीख लेनी चाहिए, उनको कोई चिंता नहीं है।