Amazon के ऑनर और दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक जाने वाले Jeff Bezos को तो आप सभी जानते होंगे लेकिन… क्या आप ये जानते है की Jeff Bezos सैलरी कितनी हैं? अभी हाल ही में इस बात को लेकर खुलासा किया कि…. उनका सालाना वेतन बहुत कम था, जबकि बता दे, उनकी संपत्ति कई बिलियन डॉलर में है। बेजोस ने खुद बताया कि, वह 1998 से Amazon में सालाना $80,000 (लगभग 67 लाख रुपये) का ही वेतन ले रहे थे, भले ही उनकी कंपनी में उनकी हिस्सेदारी और नेट वर्थ में भारी वृद्धि हुई हो।
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Bezos हमेशा कंपनी में निवेश और विकास को दी प्राथमिकता
बेजोस ने अपनी कंपनी में निवेश और विकास को प्राथमिकता दी और अधिक वेतन की बजाय कंपनी के लाभ में वृद्धि और लंबे समय में सफलता की ओर ध्यान केंद्रित किया। इस तरह का दृष्टिकोण उद्यमिता और दीर्घकालिक सोच का प्रतीक है, जहां खुद की आय को सीमित करके अधिक निवेश किया जाता है ताकि कंपनी और उसके कर्मचारियों के लिए बेहतर अवसर पैदा किए जा सकें। हालांकि, उनके वेतन में कोई बदलाव न होने के बावजूद, बेजोस के पास Amazon के शेयर्स के रूप में बेहद बड़ी संपत्ति है, और इन शेयर्स की कीमत के कारण उनकी कुल संपत्ति आज करीब 241 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है।
जेफ बेजोस जानबूझकर लेते कम वेतन
जेफ बेजोस का कम वेतन लेने का निर्णय सिर्फ उनकी व्यक्तिगत प्राथमिकता नहीं था, बल्कि यह एक व्यापक रणनीति का हिस्सा था, जिसमें उन्हें टैक्स लाभ भी मिले। बेजोस, जिन्होंने 2021 में CEO के पद से इस्तीफा दिया, अब धीरे-धीरे अपने Amazon के शेयरों को बेच रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, वे 2025 तक 25 मिलियन शेयर बेचने का इरादा रखते हैं, और इसके बावजूद उन्होंने Amazon की वेतन समिति से अनुरोध किया है कि उन्हें कोई अतिरिक्त लाभ न दिया जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें ज्यादा पैसा लेने में सहज नहीं लगता।
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टैक्स बचाने का तरीका
बेजोस का कम वेतन लेने का एक प्रमुख कारण यह भी था कि इससे उन्हें टैक्स का बोझ कम हो गया। उदाहरण के लिए, 2007 और 2011 में उन्होंने कोई इनकम टैक्स नहीं दिया। इसका कारण यह था कि उन्होंने अपने निवेश में हुए नुकसान को टैक्स के हिसाब से दिखाया, जिससे उन्हें इन वर्षों में टैक्स नहीं देना पड़ा।यह तरीका सिर्फ बेजोस जैसे अमीर लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि कई अन्य रईसों के लिए भी आम है। आमतौर पर, जब किसी व्यक्ति की अधिकांश संपत्ति स्टॉक्स या अन्य निवेशों के रूप में होती है, तो उसे कम वेतन लेने और शेयरों की मूल्यवृद्धि से आय प्राप्त करने का फायदा मिलता है। इस तरीके से, व्यक्ति कम टैक्स देता है क्योंकि टैक्स तब लगता है जब कमाई होती है, और बेजोस जैसी स्थिति में उन्हें टैक्स तभी चुकाना पड़ता है जब वे अपने स्टॉक्स को बेचते हैं या उन्हें मुनाफे के साथ बेचते हैं।
टैक्स सिस्टम पर बहस
यह तरीका टैक्स सिस्टम में एक व्यापक बहस का हिस्सा बन चुका है, क्योंकि इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह तरीका अमीरों के लिए एक कानूनी रास्ता है, जिससे वे अधिक टैक्स चुकाने से बचते हैं। इससे आम जनता और सरकार के बीच असमानता की भावना भी पैदा होती है, क्योंकि अमीर लोग टैक्स सिस्टम के खामियों का फायदा उठाते हैं, जबकि मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग पर आमतौर पर ज्यादा टैक्स लगता है।इस तरह के फैसलों ने बेजोस को एक बड़ी बहस का हिस्सा बना दिया है, और यह सवाल उठाते हैं कि क्या टैक्स प्रणाली को इस तरह से ढाला जाना चाहिए कि अमीरों को अपने भुगतान को न्यूनतम रखने की इतनी छूट ना मिले।
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Amazon के शेयरों की कीमत में वृद्धि
आगे बेजोस ने कहा कि, उनका ध्यान अधिक वेतन पर नहीं, बल्कि कंपनी के दीर्घकालिक विकास और सफलता पर था। कंपनी के शेयरों में उनका निवेश उनके लिए असली संपत्ति का स्रोत था। Amazon के शेयरों की कीमत में वृद्धि के कारण, बेजोस ने वाकई में बेहद ज्यादा संपत्ति कमाई, भले ही उनका वेतन सालों तक स्थिर रहा।जिसमें बेजोस ने खुद को और अपनी कंपनी को वित्तीय रूप से मजबूती देने के लिए व्यक्तिगत रूप से कम वेतन लिया और कंपनी के विकास और स्टॉक की कीमत पर ध्यान केंद्रित किया। इससे उन्हें न केवल खुद के लिए बल्कि कंपनी के लिए भी अत्यधिक लाभ हुआ। यह बताता है कि बेजोस का फोकस कभी भी तुरंत की कमाई पर नहीं था, बल्कि वे लंबी अवधि में कंपनी के शेयरहोल्डर्स की संपत्ति बढ़ाने में विश्वास रखते थे।