अलीगढ़- नितेश महेश्वरी
Uttar Pradesh: डॉक्टर को भगवान के बाद दूसरा दर्जा दिया जाता है। जब किसी व्यक्ति के साथ अनहोनी या दुर्घटना होती है तो वह सबसे पहले डॉक्टर का रुख अपनाता हैं। जिससे वह समय रहते अपना इलाज करवा सके और स्वस्थ हो सके, लेकिन कुछ डॉक्टरों ने अपने पेशे को बदनाम किया हुआ है। वह चंद रूपयो के लालच में मरीज के साथ इलाज करने के नाम पर दुर्व्यवहार करते हैं। डॉक्टरों के दुर्व्यवहार की वहज से मरीजो को अपनी जान से खिलवाड़ करना पड़ता है।
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डेंगू इलाज के लिए भर्ती हुआ
दरसअल पूरा मामला महानगर के क्वार्सी क्षेत्र में संचालित एक निजी हॉस्पिटल का है। जहाँ जमालपुर निवासी नाजिम डेंगू इलाज के लिए भर्ती हुआ था, नाजिम की प्लेटलेट बेहद कम हो गई थी जिसके कारण परिजन नाजिम को महेशपुर मोड़ एक निजी हॉस्पिटल लेकर गए थे, हॉस्पिटल में दोपहर के समय नाजिम को भर्ती कर लिया गया था, तीमारदारों और मरीज का कहना है कि हॉस्पिटल में भर्ती करने के बावजूद दोपहर से रात्रि 10:00 बजे तक इलाज एवं उपचार चालू नहीं किया गया।
स्टाफ से डॉक्टर को बुलाने की बात कही
मरीज की प्लेटलेट 18000 रह गई थी, मरीज की हालत गंभीर बन गई थी। परिजनों ने कई बार अस्पताल के स्टाफ से डॉक्टर को बुलाने की बात कही, तो अस्पताल के स्टाफ ने कह दिया की डॉक्टर साहब आ जायेंगे थोड़ी देर में मरीज के तीमारदार डॉक्टर का इंतजार देखते रहे और वो नहीं आए। रात के 10 बज गए।
तब जाकर डॉक्टर आए और मरीज के तीमारदार ने बताया कि मरीज और मरीज के तीमारदार से डॉक्टर ने आते ही बदसलूकी की ओर दबंगई दिखाते हुए अपशब्द बोलने लगे, और कहने लगे कि तेरा इलाज अब यहां नहीं होगा, और पूरे अलीगढ़ में कही भी इलाज नहीं होने दूंगा।
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डॉक्टर रेफर भी करने को तैयार नहीं हुए
ये सुनकर कर मरीज नाजिम के परिजनों ने नाजिम की बिगड़ती हालत और डॉक्टर द्वारा इलाज न करने पर रेफर की बात कही तो डॉक्टर रेफर भी करने को तैयार नहीं हुए। परिजनों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। मौके पर पुलिस भी आई और डॉक्टर को इलाज करने की बोला, परिजनों ने काउंटर स्टाफ से अपनी फाइल मांगी तो फाइल देने से स्टाफ ने साफ मना किया, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। किसी तरह तीमारदारों ने मरीज नाजिम को हॉस्पिटल से निकला और फिर अन्य निजी हॉस्पिटल उपचार चालू कराया, जहां उनका उपचार बेहतर होने की बात परिजनों द्वारा बताई गई।