चावल की कीमत में इन दिनों तेजी देखी जा रही है। बता दे कि केंद्र सरकार ने बासमती चावल को छोड़कर सभी तरह के कच्चे चावल के निर्यात पर बैन लगाया है।
Rice Price: भारत और रूस के एक फैसले से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। हाल के दिनों में चावल की कीमतों (Rice Price) में जोरदार तेजी देखने मिल रही है। बता दे कि चावलके भाव लगभग 12 साल के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने कहा- ‘एफएओ का कुल चावल मूल्य सूचकांक जुलाई महीने की तुलना में 2.8 फीसदी बढ़कर औसतन 129.7 अंक पर पहुंच गया है. यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक है और सितंबर 2011 के बाद से चावल का उच्चतम स्तर है।
क्यों बढ़ रही हैं चावल की कीमतें?
चावल की बढ़ती कीमतों की कई वजहें हैं। इनमें से एक है, चावल की मजबूत मांग। इसके अलावा भारत ने हाल ही में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है। इस वजह से भी कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। भारत के निर्यात पर बैन लगाने के चलते ग्लोबल मार्केट में चावल की सप्लाई कम हो गई है। साथ ही एक बड़ी वजह कुछ चावल उत्पादक देशों में अनियमित मौसम की स्थिति के कारण भी पैदावार का कम होना भी है। जिसकी वजह से आपूर्ति में अधिक गिरावट आई है।
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भारत ने चावल एक्सपोर्ट पर लगाया बैन…
चावल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के पीछे भारत सरकार का एक फैसला मुख्य कारक है। भारत ने पिछले महीने गैर बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था। देश से एक्सपोर्ट होने वाले कुल चावल में गैर बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी करीब 25 परसेंट है। मजबूत मांग और भारत के बैन से चावल की कीमत बढ़ी है। भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। ग्लोबल एक्सपोर्ट में भारत की 40 परसेंट हिस्सेदारी है। भारत सरकार ने आगामी त्योहारी सीजन के दौरान घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
कई देशों में खड़ा हो सकता है संकट…
चावल की बढ़ती कीमत का कई देशों में खाद्य सुरक्षा पर अहम प्रभाव पड़ सकता है। चावल दुनिया भर के लाखों लोगों का मुख्य भोजन है और ऊंची कीमतें लोगों के लिए इस आवश्यक भोजन को वहन करना अधिक कठिन बना सकती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया और पाकिस्तान चावल के प्रमुख निर्यातकों में से हैं। जबकि, चीन, फिलीपींस, बेनिन, सेनेगल, नाइजीरिया और मलेशिया प्रमुख आयातक हैं।