Adani Group: भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी और उनके समूह (Adani Group) को बड़ा झटका लगा है। केन्या (kenya) सरकार ने अडानी समूह के साथ किए गए प्रमुख बिजली और हवाईअड्डा परियोजनाओं के करार को रद्द कर दिया है। यह निर्णय अमेरिकी अदालत में रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों के मद्देनजर लिया गया है। केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने गुरुवार को घोषणा की कि उन्होंने नैरोबी के मुख्य हवाई अड्डे के विस्तार के लिए प्रस्तावित 1.8 बिलियन डॉलर का सौदा रद्द करने का आदेश दिया है। साथ ही, 700 मिलियन डॉलर की बिजली पारेषण परियोजना का करार भी समाप्त कर दिया गया है।
अडानी पर रिश्वतखोरी के लगे गंभीर आरोप
अमेरिकी अदालत में गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और समूह के अन्य अधिकारियों पर रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं। अभियोग में दावा किया गया है कि अडानी समूह ने अनुबंध हासिल करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत दी। इसमें आंध्र प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी को कथित रूप से 1,750 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का भी आरोप है। केन्या के राष्ट्रपति रूटो ने साफ किया कि उनकी सरकार ऐसी किसी भी परियोजना का समर्थन नहीं करेगी, जो पारदर्शिता और राष्ट्रीय नीतियों के खिलाफ हो। उन्होंने कहा, “हमारे देश की संपत्ति और नीतियों से समझौता नहीं किया जाएगा।”
अमेरिका ने अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया
अमेरिका में गौतम अडानी और उनके समूह के सात अधिकारियों के खिलाफ रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों पर गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए हैं। यह वारंट 20 नवंबर को सुनवाई के दौरान जारी हुआ। मामले की अगली सुनवाई में अमेरिकी अदालत अडानी समूह के खिलाफ ठोस कदम उठा सकती है।
अडानी समूह ने आरोपों को बताया निराधार
अडानी समूह ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा है कि यह आरोप तथ्यहीन और राजनीति से प्रेरित हैं। समूह ने कहा, “हम ईमानदारी और अनुपालन के उच्चतम मानकों के साथ काम करते हैं। यह मामला हमारे खिलाफ दुर्भावना से प्रेरित है।”
केन्या में अडानी परियोजनाओं पर पड़ा असर
अडानी समूह के लिए यह झटका काफी बड़ा माना जा रहा है। केन्या में उनकी 1.8 बिलियन डॉलर की हवाईअड्डा विस्तार परियोजना और 700 मिलियन डॉलर की बिजली पारेषण परियोजना दोनों ही आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थीं। गौतम अडानी के खिलाफ उठाए गए ये कदम उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि और व्यवसाय के लिए बड़ा झटका साबित हो सकते हैं। केन्या का यह सख्त रुख और अमेरिकी अदालत का हस्तक्षेप यह संकेत देते हैं कि अडानी समूह को आने वाले समय में और भी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।