उत्तर प्रदेश: यूपी पुलिस का आरोप और प्रत्यारोप का पुराना नाता हैं।ऐसा लगता हैं मानो वर्दी पहनते वक्त जो पुलिस कर्मी इसे निभाने के लिए वचन खाते थे, उसे अब भूलते चले जा रहे हैं।मामला गाजियाबाद के इंद्रा पुरम थाना क्षेत्र के मकनपुर गांव की घटना हैं.जहां मृतक दिलशाद के परिजनों ने पुलिस कस्टडी के दौरान पीटने से हुई मौत का आरोप लगाया हैं।
गाजियाबाद के इंद्रा पुरम इलाके में 36 वर्षीय मृतक दिलशाद पेशे से धुलाई और ड्राइक्लीनिंग का काम करता था।उस पर विजय नगर थाने में महिला संबंधी अपराध का आरोप लगा था।बीती शाम मकनपुर चौकी इंचार्ज ने कपड़ो की धुलाई के बहाने बुलाकर हिरासत में ले लिया और विजय नगर थाने भेज दिया।
मृतक के भाई नौशाद ने विजयनगर थाने के नीरज राठी और कुछ अज्ञात पुलिसकर्मियों पर हत्या की धारा 302 में एफआईआर करवाई हैं।नौशाद ने आरोप लगाया कि नीरज राठी ने दोपहर उसके भाई को फोन कर चौकी बुलाया और सूचना पर जब वो पहुंचा तो पता चला कि दिलशाद को कुछ पुलिस वाले सफेद रंग की चार पहिया में विजयनगर थाने ले गए हैं। थाने पहुंचने पर अंदर से मारपीट की आवाजे आ रही थी, पूछने पर पुलिस कर्मियों द्वारा धमकी भी दी गई थी और उसके भाई की पीट पीट कर हत्या कर दी।
घटना की जानकारी पर इलाके के एसीपी ने बताया कि दिलशाद को पूछताछ के लिए ले जाते समय एक अनियंत्रित कैंटर ने टक्कर मार दी और पीछे बैठा हुआ दिलशाद इसमें गंभीर रूप से घायल हो गया।मौके पर दिलशाद को यशोदा अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।मौके से भाग रहे ड्राइवर हुकुम सिंह और क्लीनर प्रवीण सिंह को हिरासत में ले लिया गया हैं और दोनो के खिलाफ कार्रवाई भी हो रही हैं।
परिजनों के मुताबिक दिलशाद को पुलिस ने पीट पीट कर अधमरा कर दिया था, जिस वजह से इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई हैं।मृतक दिलशाद की मां के मुताबिक चौकी इंचार्ज नीरज राठी ने उसे वर्दी की धुलाई करवाने के बहाने चौकी बुलाया और उसके बाद हिरासत में लेकर उसे विजयनगर थाने भेज दिया।इस पूरी घटना पर परिजन थाने पहुंचे तो वहां पता चला कि दिलशाद को अस्पताल ले गए हैं। परिजनों ने आरोप लगाया हैं कि पुलिस ने उसके बेटे की हत्या की हैं और दोषी पुलिसकर्मियों पर वैसे ही कार्रवाई होनी चाहिए जिसके वो दोषी पाए जाएंगे ।
बहरहाल पुलिस कर्मियों पर ऐसे आरोप वर्दी को शर्मशार करते हैं और कहीं ना कहीं आम जनता पर भी इसका सीधा असर भी देखने को मिलता हैं कि क्या आम जनता ऐसी घटनाओं को सुनने के बाद वर्दी पर भरोसा कर भी सकती हैं ?