Abbas Ansari Bail: शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में उत्तर प्रदेश के विधायक अब्बास अंसारी को बड़ी राहत प्रदान की। शीर्ष अदालत ने अंसारी की जमानत याचिका को मंजूरी दे दी है। अब्बास अंसारी, जो चर्चित बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के बेटे हैं, लंबे समय से इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। बता दें कि जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने उन्हें जमानत दी है। कोर्ट ने अंसारी की याचिका पर 14 अगस्त को ईडी को नोटिस जारी किया था, इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 9 मई को अब्बास अंसारी की याचिका खारिज कर दी थी।
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पंकज मिथल की पीठ का फैसला
इस मामले में न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने अब्बास अंसारी को जमानत देने का फैसला सुनाया। यह फैसला उस वक्त आया जब पहले से ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। अब्बास अंसारी ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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हाईकोर्ट ने पहले खारिज की थी याचिका
इससे पहले, नौ मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद, अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए 14 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नोटिस जारी किया था।वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट मामले में जमानत देने से इंकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अब्बास अंसारी को जमानत के लिए हाईकोर्ट जाने को कहा…
मुख्तार अंसारी के पुत्र हैं अब्बास अंसारी
अब्बास अंसारी, उत्तर प्रदेश के पूर्व बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के पुत्र हैं। मुख्तार अंसारी, जो लंबे समय तक राजनीति और अपराध से जुड़े मामलों में सुर्खियों में रहे, की जेल में मौत हो चुकी है। इस स्थिति के बावजूद, अब्बास अंसारी पर मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप हैं।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत की मंजूरी अब्बास अंसारी और उनके समर्थकों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आई है। यह फैसला न केवल अब्बास के राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में भी कानूनी दृष्टिकोण से एक अहम मील का पत्थर माना जा सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ऐसी शर्तें लगाएगा, जिससे आरोपी गवाहों को प्रभावित न कर सके या सबूतों से छेड़छाड़ न कर सके, इससे पहले अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में एक नोटिस जारी कर ईडी को उत्तर प्रदेश के मऊ से मौजूदा विधायक अंसारी द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।