Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में बुधवार सुबह एक बड़ा हादसा हुआ जब एक निजी स्कूल का वाहन बच्चों को लेकर जा रहा था। यह वाहन सोन नदी पर बने पुल को पार करते समय असंतुलन के कारण नदी में जा गिरा। दुर्घटना के वक्त वाहन में करीब 18 बच्चे सवार थे। हादसा सक्ती के हसौद इलाके में हुआ। बच्चों को स्कूल ले जाते वक्त यह दुर्घटना घटी, जिससे मौके पर चीख-पुकार मच गई। सौभाग्य से स्थानीय ग्रामीणों ने तेजी से प्रतिक्रिया दी और पुलिस को सूचित करने के साथ ही बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला।
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बचाव कार्य जारी
हादसे के तुरंत बाद, स्थानीय ग्रामीण और आसपास के लोग घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद की। सूचना मिलने पर पुलिस और आपातकालीन सेवाएं भी मौके पर पहुंचीं। सभी घायल बच्चों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया। राहत की बात यह रही कि दुर्घटना में कोई गंभीर हताहत नहीं हुआ और सभी बच्चे खतरे से बाहर हैं।
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स्कूल प्रशासन पर सवाल
हादसे के बाद अस्पताल पहुंचे बच्चों के परिजन बेहद चिंतित और गुस्से में दिखे। उन्होंने इस दुर्घटना के लिए स्कूल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि स्कूल वाहन में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया जा रहा था, जो हादसे का एक बड़ा कारण हो सकता है। यह घटना इस ओर भी इशारा करती है कि बच्चों की सुरक्षा के मामले में स्कूल प्रशासन लापरवाही बरत रहा है। कई परिजनों ने शिकायत की कि उन्होंने पहले भी इस मुद्दे को लेकर प्रशासन से बात की थी, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
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स्कूल वाहनों की खराब स्थिति
स्थानीय निवासियों ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जिले के ज्यादातर स्कूलों के वाहनों की स्थिति बहुत खराब है। ऐसे वाहनों का नियमित रूप से निरीक्षण नहीं किया जाता, जिससे आए दिन दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। वाहन चालक भी लापरवाही बरतते हैं, जिसकी वजह से बच्चे हमेशा खतरे में रहते हैं। इस तरह की दुर्घटनाएं बच्चों और उनके परिवारों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गई हैं।
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अधिक बच्चों को न बैठाया जाए
इस हादसे ने स्कूल प्रशासन और स्थानीय प्रशासन के लिए कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बच्चों की सुरक्षा को लेकर अनदेखी नहीं की जा सकती है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूल वाहनों की नियमित जांच हो और उनमें क्षमता से अधिक बच्चों को न बैठाया जाए। इसके अलावा, अभिभावकों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए तत्काल समाधान की आवश्यकता है।