New Criminal Laws: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पहले से ही 1 जुलाई से लागू होने वाले तीन नए कानून को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई थी। ऐसे में सोमवार को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत प्रदेश के विभिन्न थानों में एफआईआर दर्ज की गई। ये जानकारी DGP प्रशांत कुमार ने साझा की।
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अमरोहा और बरेली में दर्ज की गई एफआईआर
DGP प्रशांत कुमार ने बताया कि प्रदेश में 1 जुलाई से लागू तीन नए कानून के तहत सबसे पहले अमरोहा और बरेली में एफआईआर दर्ज की गई। साथ ही वर्तमान में बिना किसी दिक्कत के सभी जगह एफआईआर दर्ज की जा रही है। इसके अलावा आज प्रदेश के सभी थानों में इसको लेकर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। उन्होंने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर तीनों नए कानून को लागू करने के लिए पहले से ही तैयारी कर ली गई। इसके तहत ट्रेनिंग और आवश्यक उपकरणों की खरीदारी कर ली गई थी। इतना ही नहीं टेक्निकल बिंग द्वारा सभी स्थानों पर आवश्यक नेटवर्किंग को उपलब्ध करा दिया गया था। इसमें आवश्यक सॉफ्टवेयर और भारत सरकार की सामग्री भी शामिल है।
गोंडा में चोरी का मामला
गोंडा के ग्राम भगहर बुलंद में ठाकुर प्रसाद के घर में चोरी का मामला सामने आया। दो युवकों पर चोरी का आरोप लगाया गया जिन्हें महिला की पायल चुराने के दौरान पकड़ा गया था। उन्हें ग्रामीणों ने पुलिस के हवाले कर दिया।
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पुलिस की कार्रवाई
गोंडा पुलिस ने नए कानूनों के तहत मुकदमा दर्ज किया और धारा 305 (ए), 317 (2) के अंतर्गत आरोपितों साकिर और रियाजुद्दीन को गिरफ्तार किया। यह पहली एफआईआर जिसे नए कानूनों के तहत दर्ज किया गया है, जो चोरी और घर में घुसने के आरोप में है।
अन्य मामलों में कार्रवाई
इसी दिन, अमरोहा के थाना रहरा में भी एक मामला दर्ज हुआ जिसमें बिजली के तार से हुई एक बुजुर्ग की मौत की घटना शामिल है। इसमें एफआईआर दर्ज किया गया है और धारा 106 के तहत कार्रवाई की जा रही है।
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तकनीकी संसाधनों का उपयोग
उत्तर प्रदेश पुलिस ने नए कानूनों के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए अपने अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया है और तकनीकी संसाधनों का भी उपयोग किया है। इसके साथ ही सभी थानों में आवश्यक नेटवर्किंग और सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराए गए हैं ताकि किसी भी तकनीकी बाधा से बचा जा सके।
नए कानूनों का महत्व
नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के मामले में कठोर प्रावधान हैं और फारेंसिक साक्ष्यों के महत्व को बढ़ावा दिया गया है। इससे उत्तर प्रदेश पुलिस को अपराधियों को सजा दिलाने में अपने रिकॉर्ड को सुनिश्चित करने की चुनौती भी होगी।
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