Delhi Lg Order 223 Employees : दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली महिला आयोग से 223 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निकाल दिया है। वहीं आरोप है कि दिल्ली महिला आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने नियमों के खिलाफ जाकर बिना इजाजत इनकी नियुक्ति की थी , जिस वजह से उन्हें निकाल दिया गया।
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आदेश में क्या कहा गया?

जांच कमेटी ने पाया कि 223 भर्ती जो कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर निकाली गई वो नियमों की अनुरूप नहीं थी। DCW द्वारा संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति निर्धारित नियमों के अनुसार अनियमित थी। प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और माननीय एलजी की मंजूरी नहीं ली गई इसके अलावा, DCW के कर्मचारियों के पारिश्रमिक और भत्तों में बढ़ोतरी पर्याप्त औचित्य के बिना और निर्धारित प्रक्रियाओं का उल्लंघन करके की गई, जिस पर ये बड़ा एक्शन हुआ है।
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कौन हैं स्वाति मालीवाल जिन पर लगा आरोप

आपको बता दें कि स्वाति मालीवाल, दिल्ली महिला आयोग की पूर्व चेयरमैन हैं। जनवरी महीने में उन्हें आम आदमी पार्टी की ओर से राज्यसभा भेजने का फैसला लिया गया। जिसके बाद से दिल्ली महिला आयोग में चेयरमैन का पद खाली है। वहां आरोप लग रहे हैं कि स्वाति मालीवाल के चेयरमैन पद पर रहते हुए ये भर्तियां नियमों की अनदेखी करके की गई हैं।
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2016 में डीसीडब्ल्यू ने की थी नियुक्ति
एलजी के आदेश में दिल्ली महिला आयोग अधिनियम 1994 का हवाला दिया गया है। आदेश में बताया गया है कि सितंबर 2016 को महिला आयोग में 223 अतिरिक्चत पदों को सृजित किया गया। इसके कुछ दिनों बाद डीसीडब्ल्यू को डीडब्ल्यूसीडी ने सूचित किया कि वे अनुदान प्राप्त संस्थान प्रशासनिक विभाग और वित्त/योजना विभाग की मंजूरी के बिना कोई ऐसा कार्य नहीं करेंगे, जिसमें सरकार के लिए अतिरिक्त वित्तीय दायित्व शामिल हो। इसके बाद 5 अक्टूबर 2016 को डीसीडब्ल्यू को फिर से सूचित किया गया कि इन 223 पदों के सृजन के लिए सक्षम अधिकारी यानी उपराज्यपाल की कोई मंजूरी नहीं थी।