15 August Celebration: लाल किला (Red Fort), दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहर, भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस किले का नाम आज पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका असली नाम कभी किला-ए-मुबारक था, जिसका मतलब है ‘भाग्याशाली किला’। मुगलों के शासनकाल में इसे ‘मुबारक किला’ के नाम से भी जाना जाता था।
लाल किले की ऐतिहासिक कहानी
लाल किला का वर्तमान नाम उस समय के ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा इसके रंग बदलने के बाद पड़ा। पहले यह किला सफेद रंग का था, लेकिन ब्रिटिश राज के दौरान इसे लाल रंग से रंगवाया गया। इसके बाद से ही इस किले का नाम ‘लाल किला’ पड़ा और यह नाम आज भी लोकप्रिय है। लाल किला, जिसे ‘किला-ए-मुबारक’ के नाम से भी जाना जाता है, मुगलों की वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण है। किले के भीतर स्थित दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, मोती मस्जिद, और रंग महल जैसी शानदार इमारतें इसकी भव्यता को दर्शाती हैं। दीवान-ए-आम में मुगलों का आम जनता से संवाद होता था, जबकि दीवान-ए-खास में शाही दरबार की महत्वपूर्ण बैठकों का आयोजन किया जाता था। मोती मस्जिद और रंग महल की वास्तुकला उस काल के समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन को प्रकट करती है।
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यूनस्को विश्व धरोहर स्थल
लाल किला को 1983 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त हुई थी। यह इमारत भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व ने इसे विश्व के सबसे महत्वपूर्ण स्मारकों में शामिल किया है। हर साल 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस पर, प्रधानमंत्री लाल किला पर तिरंगा फहराते हैं। यह परंपरा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण है। लाल किला स्वतंत्रता के बाद से ही इस दिन का मुख्य केंद्र बन गया है, जहां हर भारतीय नागरिक गर्व और सम्मान के साथ तिरंगे झंडे को फहरते हुए देखता है।
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लाल किले का सांस्कृतिक महत्व
लाल किला केवल एक ऐतिहासिक इमारत नहीं है; यह भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का जीवंत प्रतीक है। इसके आंगन में समय का पल-पल इतिहास दर्ज है, और इसकी दीवारें मुगलों की समृद्ध कला और संस्कृति की गवाह हैं। इस किले की यात्रा करने से न केवल भारतीय इतिहास की गहराई का पता चलता है, बल्कि यह हमें उस समय के शाही जीवन की झलक भी प्रदान करता है। लाल किला, अपनी ऐतिहासिक महत्ता और सांस्कृतिक धरोहर के कारण, आज भी भारत के गौरव का प्रतीक बना हुआ है। इसके अद्वितीय इतिहास और स्थापत्य कला ने इसे न केवल भारतीय बल्कि विश्व धरोहर की सूची में एक विशेष स्थान दिलाया है।
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