मध्य प्रदेश : ये तो हम सभी जानते हैं जल हमारे लिए कितना उपयोग है जल है तभी तो कल है इस बात को बहुत बेहतर तरह से समझा छतरपुर गांव की एक लड़की बबीता राजपूत ने मध्य प्रदेश के छतरपुर में रहती है।
बबीता ने बचपन से ही गांव के लोगों को पानी के लिए देखा परेशान
बबीता ने बचपन से ही अपने गांव के लोगों को पानी के लिए परेशान होते देखा है, गांव की महिलाओ को कई किलोमीटर दूर चलकर घंटों लाइन में लगकर पानी लाना पड़ता था।
जिसके कारण कई बार बबीता का स्कूल भी छूट जाता था इसी परेशानी को मद्दे नजर रखते हुए बबीता ने यह निर्णय लिया कि वह बड़ी होकर पानी की परेशानी को खत्म करेंगी।
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जलस्तर बढ़ाने को लेकर जागरूकता अभियान
इसी दौरान गांव में कुछ समाज सेवी संस्था से लोग आए जो कि पानी बचाने और जमीन का जलस्तर बढ़ाने को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे थे, और इसी उद्देश्य से ही यह छतरपुर गांव में भी आए और वहां के लोगों को इस विषय पर जानकारी दे रहे थे, और जब बबीता को इस बारे में पता चला तो वह भी इस संस्थान से जुड़ गई और प्रशिक्षण लेने लगी। और गांव की महिलाओं को भी इस अभियान के प्रति जागरूक करने लगी।
बबीता ने इस संस्थान के साथ मिलकर चेकडैम बनाने के साथ ही बोरी बंधन किया। तत्पश्चात तालाब में पानी कैसे लाया जाय इसके लिए पहाड़ को तोड़ने का फैसला लिया। धीरे-धीरे इस नहर निर्माण कार्य में महिलाओं की संख्या बढ़ती गई जिससे कार्य भी तीव्र गति से होता गया।
बता दें कि नहर की खुदाई का कार्य मात्र 18 महीनों में संपन्न हुआ साथ ही इस नहर की लंबाई 107 मीटर है और पहली बारिश में ही तालाब पूरी तरह से भर गया। इस नहर के निर्माण से आसपास के 4 गांव को भी राहत मिली।
इस नहर को देखकर गांव के बाकी लोग चकित हुए और इस नहर निर्माण कार्य में शामिल महिलाओं को सम्मानित किया साथ ही इन महिलाओं को जल सहेली की उपाधि से नवाजा गया। इस अभियान की लीडर बबीता को जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जल-प्रहरी अवार्ड से सम्मानित किया गया साथ ही प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रियल हीरो अवार्ड से भी नवाजा गया।