देश के संसद का मानसून सत्र जारी है,जिसमें जनता के लिए तमाम मुद्दे पर प्रस्ताव पारित होने वाला था लेकिन मणिपुर मामले को लेकर दोनों सदनों में खूब हंगामे हो रहा है।वही विपक्षी चाहते है कि पीएम मोदी मणिपुर मुद्दों पर सदन में बोलें साथ ही सरकार की तरफ से ये सफाई दी गई है कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा का जवाब केवल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देंगे।बात करे नरेंद्र मोदी सरकार,जिन्हें लोकसभा में कम से कम 332 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, इस बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लोकसभा उपाध्यक्ष और उत्तर पूर्व नेता गौरव गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। पर आपको बता दें कि केन्द्र सरकार को इस अविश्वास प्रस्ताव से लगभग कोई खतरा नहीं है। पर क्या आप जानते है क्या है अविश्वास प्रस्ताव…
क्या है अविश्वास प्रस्ताव?
लोकसभा में विपक्षी दलों की तरफ से सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव कहलाता है।
क्या है अविश्वास प्रस्ताव?
लोकसभा में विपक्षी दलों की तरफ से सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव कहलाता है।
अविश्वास प्रस्ताव का इतिहास
27 बार अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में हुआ पेश
1963: जेपी कृपलानी ने नेहरू सरकार के खिलाफ दिया था नोटिस
1979: मोरारजी देसाई इकलौते प्रधानमंत्री रहे, जिनकी इसके जरिए सरकार गिरी
इंदिरा गांधी के खिलाफ 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया
क्यों लाते है अविश्वास प्रस्ताव?
सरकार को लोकसभा में बहुमत साबित करने की चुनौती के लिए इसे लाया जाता है।
कौन ला सकता है ये प्रस्ताव?
नियम 1998 के तहत, कोई भी सदस्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है।
कार्यवाही से पहले क्या जरूरी?
लोकसभा अध्यक्ष जब प्रस्ताव को कार्यवाही का हिस्सा बनाए।
समर्थन में 50 सदस्यों का होना बेहद जरूरी है।
कैसे देना होता है अविश्वास प्रस्ताव?
लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल को 10 बजे से पूर्व लिखित में नोटिस देना होता है।
अगर अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाए, तब क्या?
आपको बता दें लोकसभा अध्यक्ष यह तय करेंगे कि प्रस्ताव को चर्चा और बहस के लिए स्वीकार किया जाए या नहीं। यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो अध्यक्ष चर्चा के लिए तारीख और समय तय करेगा। साथ ही अध्यक्ष प्रस्ताव पर चर्चा के लिए (लोकसभा नियमों के नियम 198 के उप-नियम (2) और (3) के तहत) समय दे सकते हैं। यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है
।
अविश्वास प्रस्ताव पर बहस कैसे होती है?
अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में बहस होती है। वही प्रस्ताव उस सदस्य द्वारा पेश किया जाएगा जिसने इसे पेश किया है, और सरकार तब प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देगी। इसके बाद विपक्षी दलों को प्रस्ताव पर बोलने का मौका मिलेगा।
अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कैसे होता है?
बहस के बाद लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग करती है। अगर सदन के अधिकांश सदस्यों द्वारा इसका समर्थन किया जाता है तो प्रस्ताव पारित हो जाएगा।
अगर सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर वोट जीत जाती है तो क्या होगा?
अगर सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर वोट जीत जाती है, तो प्रस्ताव गिर जाता है और सरकार सत्ता में बनी रहती है।
जब पहली बार लाया गया था अविश्वास प्रस्ताव
1952 में लोकसभा के नियमों में यह प्रावधान किया गया कि एक अविश्वास प्रस्ताव 30 सांसदों के समर्थन से लाया जा सकता है, अब यह संख्या 50 हो गई है. वही लोकसभा के दो कार्यकाल तक कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया. लेकिन अगस्त 1963 में लोकसभा के तीसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के ख़िलाफ़ पहली बार अविश्वास प्रस्ताव आचार्य जेबी कृपलानी ले कर आए.
अविश्वास प्रस्ताव पर सबसे लंबी बहस
अविश्वास प्रस्ताव पर सबसे लंबी बहस 24.34 घंटे हुई
इंदिरा गांधी के खिलाफ 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, सभी मौकों पर उनकी जीत हुई।
लाल बहादुर शास्त्री के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर सबसे लंबी बहस 24.34 घंटे हुई।
4 अविश्वास प्रस्ताव CPIM के नेता ज्योतिर्मय बसु ने पेश किया था।
संसद के तीन सत्र कब कब होते हैं?
बजट सत्र – फरवरी से लेकर मई
मानसून सत्र – जुलाई से अगस्त-सितंबर
शीत सत्र – नवंबर से दिसंबर
संसद की कार्यवाही पर कितना खर्च?
संसद की प्रत्येक कार्यवाही पर करीब हर मिनट में ढाई लाख (2.5 लाख) रुपये खर्च का अनुमान है। आसान भाषा में समझें तो एक घंटे में डेढ़ करोड़ रुपये (1.5 करोड़) खर्च हो जाता है। संसद सत्र के 7 घंटों में एक घंटा लंच को हटाकर बचते है 6 घंटे। इन 6 घंटों में दोनों सदनों में केवल विरोध, हल्ला और शोर होता है, जिसके कारण हर मिनट में ढाई लाख रुपये बर्बाद हो रहे हैं। संसद में हंगामा होने के कारण आम आदमी का ढाई लाख रुपए हर मिनट बर्बाद होता है