पटना वाले Khan Sir, जिनकी तबीयत खराब होने की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था, सोमवार को अस्पताल से डिस्चार्ज हो गए। उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना देवरिया जिले के भाटपाररानी तहसील क्षेत्र स्थित परमार मिशन स्कूल में भी की गई, जहां उन्होंने नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई की थी।खान सर, जिनका असली नाम खान साहब है, देवरिया जनपद के भाटपाररानी क्षेत्र के निवासी हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई परमार मिशन स्कूल से की, जिसके बाद वे इलाहाबाद पढ़ाई के लिए गए। इसके बाद उन्होंने पटना में अपने शिक्षण करियर की शुरुआत की और जल्द ही छात्रों के बीच अपने अनोखे अंदाज से लोकप्रिय हो गए।
काफी चुलबुले और मजाकिया थे
परमार मिशन स्कूल के टीचर्स ने बताया कि… खान सर बचपन में काफी चुलबुले और मजाकिया थे। वे हमेशा पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी भाग लेते थे और स्कूल में अपने साथियों के बीच काफी लोकप्रिय थे। उनकी पढ़ाई के प्रति मेहनत और उत्साह ही उनके सफलता का मुख्य कारण बना।खान सर की तबीयत में सुधार होने के बाद उनके चाहने वाले उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं, और उनके स्वास्थ्य की सलामती की प्रार्थना की जा रही है, खासकर उन लोगों द्वारा जो उनके करीबी और छात्र रहे हैं।
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हमेशा से ही बहुत खुशमिजाज और अच्छे बच्चे रहे खान-प्रिंसिपल
परमार मिशन स्कूल की प्रिंसिपल, पूनम परमार ने खान सर के बारे में अपनी यादें साझा करते हुए बताया कि… उन्होंने खान सर को इंग्लिश पढ़ाया था और वे हमेशा से ही बहुत खुशमिजाज और अच्छे बच्चे रहे हैं। पूनम परमार ने कहा कि खान सर ने अपनी आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई इसी स्कूल से की थी, और वह खुद भी उन्हें हाईस्कूल में इंग्लिश पढ़ाती थीं।उन्होंने यह भी बताया कि खान सर का पढ़ाने का तरीका आज भी उनके लिए प्रेरणा का स्रोत है।
स्कूल में उनका तरीका बिल्कुल अलग था, जो आज उनके वीडियो के माध्यम से हम सभी सीखने की कोशिश करते हैं। पूनम परमार ने यह भी कहा कि उन्हें गर्व है कि खान सर आज एक महान शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध हैं। वह खुद भी उनके वीडियो को देखती हैं और उनकी पढ़ाई के तरीकों से प्रेरित होती हैं।पूनम परमार ने खान सर के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए प्रार्थना की कि वे जल्दी ठीक होकर फिर से बच्चों को पढ़ाने में व्यस्त हो जाएं।
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खान सर की दिलचस्प बातें
आगे उन्होंने कहा कि… खान सर को कभी डांटने का मौका नहीं मिला, क्योंकि वे हमेशा हंसमुख और अच्छे स्वभाव के थे। यदि कभी कोई गलती होती, तो वह तुरंत “सॉरी” बोलकर अपने आप को सुधार लेते थे। पूनम परमार ने यह भी बताया कि उन्होंने खान सर के साथ ड्रामा भी किया था और उन्हें ट्यूशन भी पढ़ाई थी।एक अन्य टीचर ने भी खान सर के बचपन के बारे में कहा कि वह बचपन से ही बहुत फोकस्ड रहते थे। उनकी पढ़ाई और व्यवहार में कभी कोई कमी नहीं आती थी, जिससे किसी को भी उन्हें डांटने का मौका नहीं मिलता था। यह उनके आत्म-नियंत्रण और मेहनत को दर्शाता है, जो उनके सफल शिक्षक बनने की राह में मददगार साबित हुआ।