Vegetarian Food Fee: ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप जोमैटो से खाना मंगाने वाले ग्राहकों के लिए एक राहत भरी खबर आई है। कंपनी ने अपने निर्णय को पलटते हुए वेजिटेरियन फूड डिलीवरी पर ‘एक्स्ट्रा चार्ज’ लगाने का फैसला वापस ले लिया है। सोशल मीडिया पर इस फैसले की तीखी आलोचना होने के बाद जोमैटो के CEO दीपिंदर गोयल ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए इस चार्ज को हटाने की घोषणा की।
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वेजिटेरियन फूड पर चार्ज लगाने से गुस्से में थे ग्राहक

जोमैटो ने पहले घोषणा की थी कि वह शाकाहारी खाने पर अतिरिक्त चार्ज लगाएगी, जिसका भारतीय ग्राहकों ने तीखा विरोध किया। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यह मुद्दा गर्मा गया और ग्राहकों ने इस कदम को न सिर्फ अव्यावहारिक बल्कि अनुचित भी बताया। एक यूजर ने जोमैटो के बिल की तस्वीर के साथ LinkedIn पर पोस्ट करते हुए लिखा, “आजकल भारत में वेजिटेरियन होना किसी सजा से कम नहीं है! Zomato का नया मास्टरस्ट्रोक-वेजिटेरियन फूड डिलीवरी पर ‘एक्स्ट्रा चार्ज’ ने हमें प्रीमियम कस्टमर बना दिया है।” इस पोस्ट में उन्होंने जोमैटो के इस कदम को शाकाहारी भोजन को एक लक्जरी के रूप में पेश करने की निंदा की।
CEO दीपिंदर गोयल ने की गलती स्वीकार

सोशल मीडिया पर इस निर्णय की आलोचना के बाद जोमैटो के CEO दीपिंदर गोयल ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि कंपनी से यह गलती हो गई थी। उन्होंने ट्वीट कर जानकारी दी कि कंपनी ने यह चार्ज वापस ले लिया है और ग्राहक अब पहले की तरह बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के वेजिटेरियन फूड का ऑर्डर कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ग्राहक की प्रतिक्रिया पर गंभीरता से विचार किया गया और कंपनी ने तुरंत इसे सुधारने का फैसला लिया।
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कंपनी पर बढ़ी आलोचना

वेजिटेरियन फूड पर चार्ज लगाने के इस फैसले से न सिर्फ भारतीय ग्राहकों में असंतोष था बल्कि इसे देश के सांस्कृतिक संदर्भ में भी गलत समझा गया। भारत में शाकाहारी भोजन एक बड़ा हिस्सा है और यह कदम इसे एक ‘लक्जरी’ के रूप में पेश करने के लिए आलोचना का शिकार बना। यह मुद्दा उस समय और भी गर्म हो गया जब लोगों ने यह महसूस किया कि उन्हें उनके खाने की पसंद के आधार पर अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है।
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जोमैटो के फैसले का असर

जोमैटो के इस निर्णय ने न सिर्फ भारतीय ग्राहकों को प्रभावित किया, बल्कि पूरी ऑनलाइन फूड डिलीवरी इंडस्ट्री में भी हलचल मचा दी। कंपनी ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए इसका समाधान भी निकाला। अब देखना यह है कि क्या जोमैटो भविष्य में इस तरह के विवादों से बचने के लिए अपनी नीतियों में बदलाव करता है या नहीं।