Zero shadow day: पृथ्वी पर कई घटनाएं ऐसी होती हैं जिसे लोग हैरत में पड़ जाते है ऐसी घटना जो कभी-कभी ही होती हैं. इनमें कुछ पृथ्वी के अपनी धुरी और सूर्य के चारों ओर की जा रही परिक्रिमा के कारण होती हैं. इनमें सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण जैसी कई खगोलीय घटनाएं शामिल होती हैं. इन्हीं में एक घटना ‘जीरो शैडो डे’ होती है. इसी साल बेंगलुरू में स्कूली बच्चों और विज्ञान के छात्रों ने जीरो शैडो डे मनाया. धरती के कई हिस्सों में यह विशेष खगोलीय घटना साल में दो बार आती है, जब इसे देखा जाता है. अब सवाल ये उठता है कि ये जीरो शैडो डे क्या है और क्यों मनाया जाता है? ये घटना किन कारणों से होती है?

सबसे पहले जानते हैं कि जीरो शैडो घटना क्या है? बेंगलुरू में 25 अप्रैल 2023 को दोपहर 12 से 12.30 बजे के बीच लोगों ने जीरो शैडो का अनुनभव किया. इस मौके पर बच्चों ने सूर्य और उसके रोशनी की वजह से बन रही छाया की तस्वीरें लीं. लोगों ने इस खास मौके को कैमरों में कैद किया. यह वह दिन होता है, जब दिन के खास समय पर सूर्य हमारे सिर के ठीक ऊपर आ जाता है. इस कारण हमारी छाया ही नहीं बन पाती है हमारे यहा एक कहावत है कि दुनिया में सभी आपका साथ छोड़ देते है पर एक परछाई ही है जो आपकी साथ नही छोडती लेकिन आज ऐसा दिन होने जा रहा जिस दिन परछाई भी आपका साथ छोड़ देगी . इस स्थिति को जीरो शैडो और इस खास दिन को जीरो शैडो डे कहा जाता है.

कैसे बनती है जीरो शैडो की स्थिति
जीरो शैडो डे की पिछली घटना इसी साल अप्रैल में हो चुकी है और अब आज यानी 18 अगस्त 2023 को कुछ ही देर में ये घटना फिर होने वाली है. कुछ देर बाद आपकी परछाई आपका साथ छोड़ने वाली है. इस खास स्थिति की वजह पृथ्वी के घूर्णन की धुरी का झुकाव होती है, जो पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा के तल के लंबवत होने की जगह उससे 23.5 डिग्री तक झुकी होती है. इसी वजह से सालभर सूर्य की स्थिति उत्तर और दक्षिण के बीच बदलती रहती है. बता दें कि हर दिन दोपहर 12 बजे सूर्य हमारे सिर के ठीक ऊपर नहीं आ पाता है. इसी झुकाव की वजह से साल भर के मौसमों में भी बदलाव होते हैं.
कब दिन और रात होते हैं बराबर

सालभर में सूर्य के उत्तर और दक्षिण दिशा में आते-जाते दिखने की स्थिति को भारतीय संस्कृति में उत्तरायण व दक्षिणायन के नाम से भी पहचाना जाता है. दक्षिण से उत्तर की ओर जाते दिखने की क्रिया 22 दिसंबर से शुरू होती है और सामान्य तौर पर 21 मार्च को सूर्य भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर आ जाता है. यही वह दिन होता है, जब दोपहर को इस रेखा पर कोई छाया नहीं बनती है. इसी दिन धरती पर दिन और रात बराबर होते हैं. इसे संपात, विषुव या इक्यूनॉक्स कहा जाता है. इस साल ये स्थिति 25 अप्रैल को बनी थी. जीरो शैडो की स्थिति कर्क और मकर रेखा के पास के क्षेत्रों में ही बनती है. इस दिन सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह के करीब-करीब लंबवत होती हैं.
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साल में दो ही बार होता है ऐसा
सामान्य तौर पर 21 मार्च की घटना के बाद 21 जून से सूर्य दक्षिण की ओर जाता दिखने लगता है और 21 सितंबर को फिर संपात का दिन आता है. इस तरह पृथ्वी की 23.5 डिग्री अक्षांश उत्तर और दक्षिण के बीच यानि कर्क रेखा व मकर रेखा के बीच ही जीरो शैडो की स्थिति बन पाती है. ऐसा इन दोनों रेखाओं के बीच हर जगह साल में दो ही बार हो पाता है. इस बार साल में दूसरी बार ये घटना आज यानी 18 अगस्त 2023 को कुछ ही दरे में होगी.