Yes Bank Share: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने यस बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाने का निर्णय लिया है। मार्च 2025 तक एसबीआई के पास यस बैंक में लगभग 24% की हिस्सेदारी थी, जो अब एक नए निवेश सौदे के बाद घटकर लगभग 10.8% रह जाएगी। यह बदलाव बैंकिंग जगत के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है, जो एसबीआई की दीर्घकालिक रणनीति में परिवर्तन की ओर संकेत करता है।
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नियामकीय मंजूरी के बाद ही पूरा होगा सौदा

एसबीआई और एसएमबीसी (SMBC) के बीच हुआ यह निवेश सौदा अभी पूरी तरह से अंतिम रूप नहीं लिया गया है। बैंक की ओर से जारी बयान में स्पष्ट किया गया है कि जब तक एसएमबीसी को सभी आवश्यक नियामकीय (Regulatory) और वैधानिक (Statutory) मंजूरियां प्राप्त नहीं हो जातीं, तब तक यह लेन-देन पूरा नहीं होगा। इससे पहले निवेश प्रक्रिया को कानूनी और विनियामकीय कसौटियों पर परखा जाएगा।
12 महीनों के भीतर लेन-देन पूरा होने की उम्मीद
बैंक ने बताया है कि यह लेन-देन उस तारीख से 12 महीनों के भीतर पूरा होने की संभावना है, जब इसे संपन्नता (Closure) की तारीख के रूप में मान्यता दी जाएगी। यानी यदि नियामकीय मंजूरियां समय पर मिलती हैं, तो आने वाले एक वर्ष में यह सौदा सफलतापूर्वक निष्पादित हो सकता है। इससे यस बैंक के भविष्य की रणनीति और पूंजी संरचना पर भी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
एसबीआई की भूमिका में दिखेगा बदलाव

इस निर्णय को भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में एक रणनीतिक मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। यस बैंक में एसबीआई की प्रमुख हिस्सेदारी के घटने से साफ है कि देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक अब अपनी निवेश रणनीति में परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इससे न केवल यस बैंक के संचालन पर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि निवेशकों और बाजार के दृष्टिकोण से भी यह एक महत्वपूर्ण संकेत है।