What is CAA:लोकसभा चुनाव होने में बेहद कम ही वक्त बचा है ऐसे में सभी राजनीतिक दलों की ओर से तैयारियां भी तेज कर दी गई हैं। वहीं अब BJP सीएए को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले सीएए देश में लागू हो जाएगा। मार्च के पहले हफ्ते में सीएए लागु हो सकती है।सराकार ने वेब पोर्टल समेत अन्य जरूरी तैयारियां पूरी कर ली हैं, ये कानून संसद के दोनों सदनों से 4 साल पहले मंजूर हो गया था, राष्ट्रपति की मुहर भी लग गई थी, सिर्फ नोटिफिकेशन जारी होने का इंतजार किया जा रहा।
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शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी
इसकी वजह यह है कि हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्मों की शुरुआत भारत से ही हुई थी और कहीं भी इन धर्मों के लोग पीड़ित होने पर भारत की ओर ही देखते हैं। ऐसे में उन्हें राहत देने के लिए इस कानून को लाया गया है। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत किसी नागरिकता नहीं जाएगी बल्कि उन शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी, जो दूसरे देशों से पीड़ित होकर आए हैं।
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किसी की भारतीय नागरिकता छीनने के लिए नहीं
आको बता दें कि इस महीने की शुरुआत में अमित शाह ने सीएए को लेकर बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि -“सीएए के संबंध में नियम जारी कर इस साल लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा, बता दें कि शाह का कहाना था कि मुस्लिम भाइयों को गुमराह किया जा रहा है और भड़काया जा रहा है, सीएए सिर्फ उन देशों के अल्पसंख्यक लोगों को नागरिकता देने के लिए है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आए हैं, यह किसी की भारतीय नागरिकता छीनने के लिए नहीं है।
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मुसलमान क्यों कर रहे है विरोध
वहीं सीएए का विरोध सबसे ज्यादा मुसलमान कर रहे हैं। दरअसल, इस कानून में इन तीन देशों से आए मुसलमानों को नागरिकता देने से बाहर रखा गया है। कई आलोचका का मानना है कि इस कानून से मुसलमानों से भेदभाव हो रहा है और ये भारत में समानता की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन करता है।उन्हें यह भी डर है कि इससे कुछ क्षेत्रों, विशेषकर पूर्वोत्तर में और अधिक प्रवासन और जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो सकते हैं।
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क्या CAA संवैधानिक है?
भारतीय संसद में CAA को वर्ष 2019 में 11 दिसंबर को पारित किया गया था, जिसमें 125 वोट इसके पक्ष में पड़े थे और 105 वोट इसके खिलाफ थे। राष्ट्रपति ने इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी दे दी थी।