पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में निधन हुआ। उनका निधन देशभर में शोक की लहर लेकर आया। वे भारतीय राजनीति के एक महान नेता और अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियों ने गहरी संवेदना व्यक्त की।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए अविस्मरणीय रहेगा। उनकी नीतियों ने देश को वैश्विक आर्थिक मंच पर एक मजबूत स्थान दिलाया।पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उनके कार्यकाल के दौरान उनकी नीतिगत विशेषज्ञता और आर्थिक सुधारों के लिए जाना जाता है। विशेष रूप से 1991 में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण की दिशा में आगे बढ़ाया, जो भारतीय विकास के एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।उनका निधन भारत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, और उन्हें हमेशा उनके कार्यों और विचारों के लिए याद किया जाएगा।

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क्यों पहनते थे नीली पगड़ी?
डॉक्टर मनमोहन सिंह की नीली पगड़ी पहनने की आदत उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी हुई थी, और यह उनकी व्यक्तिगत पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई थी।नीला रंग उनके लिए सिर्फ एक शौक या परंपरा नहीं था, बल्कि यह उनके विचारों, मूल्यों और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को भी दर्शाता था। नीला रंग शांति, समृद्धि, और स्थिरता का प्रतीक माने जाता है, और डॉक्टर सिंह के लिए यह रंग उनके अकादमिक सफर और उनके परिवार की सांस्कृतिक धरोहर से भी जुड़ा हुआ था।
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“ब्लू टर्बन” कहकर पुकारते थे सब
2006 में जब उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई, तो उन्होंने खुद इसका खुलासा किया था कि हल्का नीला रंग उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और यह उन्हें अपने कैम्ब्रिज के दिनों की याद दिलाता था। उनके साथी वहां उन्हें “ब्लू टर्बन” कहकर पुकारते थे, जो उनके लिए एक स्नेहपूर्ण उपनाम था।इस तरह, नीला रंग उनके जीवन और कार्यों का एक प्रतीक बन गया, और यह उनके व्यक्तित्व के कई महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रतीक था।