Bareilly में जुलूस-ए-मोहम्मदी के दौरान क्यों हुआ विवाद? जानिए क्या है पूरा मामला

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
procession of Mohammadi

Bareilly News: रविवार को बरेली के पुराना शहर में जुलूस-ए-मोहम्मदी के आयोजन को लेकर जोगी नवादा क्षेत्र में गंभीर तनाव उत्पन्न हो गया। इस बार जुलूस का केंद्र जोगी नवादा था, जहां चार अंजुमनों के पांच सौ से अधिक सदस्य मौर्य गली की ओर जुलूस निकालने का प्रयास कर रहे थे। इसके विरोध में दूसरे पक्ष ने तीखा विरोध जताया, जिससे स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई। पुलिस ने स्थिति को संभालने के लिए अंजुमनों के डीजे को हटवा दिया और लोगों की संख्या कम करने के निर्देश दिए। हालांकि, इसके बावजूद विरोध कम नहीं हुआ। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन कई बार उन्हें पानी फेंकने जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा।

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पुलिस ने संभाली स्थिति

पुलिस ने लोगों को गलियों में भेजने की कोशिश की और कभी समझाया, कभी डपटकर स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी जोगी नवादा से चार अंजुमनें मौर्य गली होकर जुलूस में शामिल होने आई थीं। हालांकि, इस बार अंजुमनों की संख्या बढ़ा दी गई थी और टेंपो में डीजे, लाउडस्पीकर, और सुराही लगाए गए थे। धार्मिक नारे लगाते हुए लोग मौर्य गली की ओर बढ़े, तो मौर्य गली के स्थानीय लोग एकजुट हो गए और विरोध शुरू कर दिया। यह विवाद पिछले साल कांवड़ यात्रा के दौरान शुरू हुआ था जब दूसरे पक्ष ने यात्रा को गैर-परंपरागत बताते हुए विरोध किया था।

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धर्म से जुड़े लगे नारे

महंत राकेश कश्यप के नेतृत्व में धार्मिक नारे लगाते हुए लोग आगे बढ़े, जबकि कब्रिस्तान के पास दूसरा पक्ष भी जुट गया और अपने धर्म से जुड़े नारे लगाने लगे। पुलिस और पीएसी ने मौके पर पहुंचकर भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास किया। एएसपी देवेंद्र कुमार और बारादरी इंस्पेक्टर अमित पांडेय ने भीड़ की स्थिति देखकर अतिरिक्त बल की तैनाती की। अधिकारियों ने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की, लेकिन स्थिति गंभीर बनी रही। रात सवा दो बजे तक अंजुमनों का जुलूस नहीं निकाला जा सका।

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पुलिस की रणनीति

पुलिस ने विवादित स्थिति को संभालने के लिए कई रणनीतिक कदम उठाए। मौर्य गली और कब्रिस्तान की स्ट्रीट लाइटें बंद की गईं और अंजुमन के आगे चल रहे ऑटो को मौर्य गली की ओर ले जाने की कोशिश की गई। लेकिन, गली से विरोध और हिंसा का सामना करना पड़ा, जिसमें छतों से पानी फेंके जाने की घटनाएं शामिल थीं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बार-बार रणनीति बदलनी पड़ी। जोगी नवादा में पिछले साल से दोनों समुदायों के बीच दूरियां बढ़ गई हैं। थाना और चौकी स्तर पर होने वाली शांति समितियों की बैठकों में इन समस्याओं के समाधान पर कोई ठोस मंथन नहीं हुआ। एडीजी, आईजी और एसएसपी ने छोटे विवादों के निस्तारण पर जोर दिया, लेकिन खुफिया अमला भी माहौल को भांपने में नाकाम रहा।

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पुलिस और प्रशासन की भूमिका

एसएसपी अनुराग आर्य ने एसपी सिटी राहुल भाटी का तबादला होने के बावजूद उन्हें आयोजन तक रोके रखा, जिन्होंने पहले भी इस तरह के मामलों को संभालने का अनुभव प्राप्त किया है। वहीं, जोगी नवादा में विवाद को सुलझाने के लिए एसपी उत्तरी मुकेश मिश्रा को लगाया गया, जिन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने में सफलतापूर्वक प्रयास किए।

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जगतपुर में भी विवाद

पिछले साल जगतपुर में भी जुलूस के मार्ग को लेकर विवाद हुआ था। जुलूस हिंदू बस्ती की ओर बढ़ा, जिसे नई परंपरा बताकर हंगामा किया गया। जुलूस आयोजकों का कहना था कि अंजुमन का मार्ग पारंपरिक है, जबकि जगतपुर के लोगों का कहना था कि यह परंपरागत मार्ग नहीं है। पुलिस ने दोनों पक्षों को खदेड़कर स्थिति को नियंत्रित किया था।

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