Sonam Wangchuk News: लद्दाख के मशहूर शिक्षा सुधारक और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सोमवार की रात दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने सोनम और उनके समर्थकों को दिल्ली बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) को बताया कि जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके सहयोगियों को हिरासत से रिहा कर दिया गया है। मेहता ने यह जानकारी मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के सामने दी। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में सभाओं और विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाने संबंधी दिल्ली पुलिस के आदेश को भी वापस ले लिया गया है। यह बयान तब आया जब पीठ वांगचुक की रिहाई के अनुरोध और निषेधाज्ञा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
यह लोग लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची (Sixth Schedule of the Constitution) में शामिल करने की मांग को लेकर ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ कर रहे थे। करीब 700 किमी की लंबी पदयात्रा करते हुए ये लोग दिल्ली पहुंचे थे, लेकिन दिल्ली में बीएनएस (BNS) की धारा 163 लागू होने के चलते इन्हें हिरासत में लिया गया। आपको बता दें कि सोनम वांगचुक समेत लद्दाख के लगभग 120 लोग, लद्दाख के लिए छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर राजधानी की ओर मार्च कर रहे थे, जब पुलिस ने उन्हें दिल्ली सीमा पर हिरासत में लिया था। छठी अनुसूची का संबंध असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से है।
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आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं
तुषार मेहता ने कहा कि वांगचुक और उनके सहयोगियों को रिहा कर दिया गया है और जब तक वे किसी कानूनी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करते, उनकी आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। हालांकि, अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एक अलग याचिका का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ लोग अभी भी पाबंदियों के तहत हैं और उनकी आवाजाही स्वतंत्र नहीं है।
जम्मू-कश्मीर चुनाव के चलते बढ़ी सरकार की चिंता

कयास लगाए जा रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में चल रहे विधानसभा चुनाव (Jammu and Kashmir Assembly Elections) के मद्देनजर केंद्र सरकार सोनम वांगचुक की इस यात्रा को लेकर चिंतित थी। सोनम का लद्दाख से दिल्ली तक पैदल चलकर आना चुनावी माहौल में सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकता था, इसलिए उन्हें बीच में ही हिरासत में लिया गया था। विपक्षी दलों ने इस मौके का फायदा उठाते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है, जिससे राजनीतिक माहौल और भी गर्म हो गया।
कौन हैं सोनम वांगचुक?
सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk Biography) एक प्रसिद्ध भारतीय शिक्षाविद, जलवायु कार्यकर्ता, सामाजिक सुधारक और इंजीनियर हैं। उनका जन्म 1 सितंबर 1966 को लेह जिले के अलची गांव के पास हुआ था। उनके पिता, सोनम वांग्याल, एक कांग्रेस नेता थे और राज्य सरकार में मंत्री भी रहे थे। वांगचुक की प्रारंभिक शिक्षा उनकी मां द्वारा ही दी गई, क्योंकि उनके गांव में कोई स्कूल नहीं था। 9 साल की उम्र में उनका दाखिला श्रीनगर के एक स्कूल में हुआ, जहां भाषा की समस्या के कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाया।
सोनम वांगचुक का शैक्षणिक जीवन

सोनम वांगचुक ने 1987 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, श्रीनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। अपनी पढ़ाई के दौरान वांगचुक ने आर्थिक चुनौतियों का सामना किया और अपनी शिक्षा का खर्च खुद उठाया। बीटेक के बाद, वह उच्च शिक्षा के लिए फ्रांस चले गए, जहां उन्होंने ग्रेनोबल के क्रेटर स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से अर्थेन आर्किटेक्चर में अध्ययन किया।
वांगचुक ने लद्दाख में शिक्षा और सामाजिक सुधार के लिए ‘स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL)’ की स्थापना की। इसके अलावा, 1993 से 2005 तक उन्होंने ‘लैंडस्केप मेलॉग’ नामक पत्रिका की शुरुआत की, जो लद्दाख की एकमात्र प्रिंटिंग पत्रिका थी। सोनम वांगचुक का योगदान इतना महत्वपूर्ण रहा है कि आमिर खान (Aamir Khan) की फिल्म “थ्री इडियट्स” (3 Idiots) का किरदार भी उनके जीवन से ही प्रेरित था।
क्या है वांगचुक की मांगें?
सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) और उनके समर्थक लंबे समय से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। 2019 में जब अनुच्छेद 370 को हटाया गया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया, तब लद्दाख को विधानसभा के बिना केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया था। इस फैसले से लद्दाख का विशेष दर्जा खत्म हो गया था, जिससे वहां की जनता में असंतोष फैल गया। वांगचुक और उनके समर्थक लद्दाख के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे हैं। सोनम वांगचुक की अन्य मांगों में लद्दाख के लिए एक और लोकसभा सीट, सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व और भूमि अधिकारों की रक्षा शामिल हैं। उनका यह भी मानना है कि लद्दाख में बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियां वहां के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए नुकसानदेह हैं, और इस पर भी नियंत्रण की जरूरत है।
केंद्र सरकार के लिए चुनौती
सोनम वांगचुक की ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ ने केंद्र सरकार के लिए एक नया राजनीतिक सिरदर्द पैदा कर दिया है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार की आलोचना की है। वे इसे जन आंदोलन का दमन मानते हैं और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला कह रहे हैं। हालांकि, सरकार का पक्ष यह है कि इस यात्रा से चुनावी माहौल प्रभावित हो सकता था और कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका थी। हालांकि सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों ने साफ कह दिया है कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल नहीं किया जाता और उनके अन्य प्रमुख मुद्दों पर केंद्र सरकार ध्यान नहीं देती।