Mohini Mohan Dutta: हाल ही में रतन टाटा (Ratan Tata) की वसीयत का खुलासा हुआ है, जिसमें एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। रतन टाटा ने अपनी शेष संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा, जो 500 करोड़ रुपये से अधिक है, जमशेदपुर के एक अज्ञात सहयोगी मोहिनी मोहन दत्ता को गिफ्ट किया। यह खुलासा सभी को हैरान कर देने वाला है, क्योंकि मोहिनी मोहन दत्ता (Mohini Mohan Dutta) का नाम कभी रतन टाटा के साथ नहीं जोड़ा गया था।
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वसीयत में दत्ता का महत्वपूर्ण स्थान

बताते चले कि, रतन टाटा की वसीयत के अनुसार, मोहिनी मोहन दत्ता (Mohini Mohan Dutta), जो टाटा समूह के पूर्व कर्मचारी हैं जिनको ये बड़ी राशि दी गई है। दत्ता ने रतन टाटा के करीबी रिश्ते को स्वीकार किया है और उनकी संपत्ति को लेने की सहमति दी है। हालांकि, दत्ता का दावा है कि उन्हें मिलने वाली रकम करीब 650 करोड़ रुपये होगी, जबकि वसीयत में इसका मूल्यांकन 500 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। यह रकम अभी तक पूरी तरह से प्रमाणित नहीं हुई है और इस पर जांच जारी है।
वसीयत में अन्य परिवार के सदस्यों की भूमिका

रतन टाटा की वसीयत में दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने अपनी संपत्ति को चैरिटी के लिए समर्पित किया है और उनकी सौतेली बहनों ने भी अपनी हिस्सेदारी दान करने की इच्छा जताई है। हालांकि, रतन टाटा की सौतेली बहनें शिरीन जेजीभॉय और डियाना जेजीभॉय ने अपने हिस्से को दान करने की इच्छा जताई, लेकिन उनका सौतेला भाई नोएल टाटा और उनके बच्चों को वसीयत में कोई हिस्सा नहीं दिया गया। रतन टाटा की वसीयत से यह साफ हो गया कि उन्होंने कभी शादी नहीं की और न ही किसी बच्चे को गोद लिया।
दत्ता का रतन टाटा से रिश्ता और उनके योगदान

मोहिनी मोहन दत्ता (Mohini Mohan Dutta)ने बताया कि उनकी मुलाकात रतन टाटा से 24 साल की उम्र में हुई थी, जब वे दोनों जमशेदपुर में मिले थे। दत्ता ने रतन टाटा से बहुत मदद ली और उन्हें करियर में आगे बढ़ने का अवसर मिला। उन्होंने ताज होटल से अपने करियर की शुरुआत की और बाद में टाटा इंडस्ट्रीज ने उनके स्टैलियन ट्रैवल एजेंसी में निवेश किया था। यह एजेंसी बाद में ताज के ट्रैवल डिवीजन में विलय हो गई। दत्ता अब भी थॉमस कुक इंडिया के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं और उन्हें टाटा समूह की कंपनियों के शेयर भी मिले हैं।
रतन टाटा की वसीयत
रतन टाटा की वसीयत में कई नई बातें सामने आई हैं, लेकिन कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि संपत्ति के वितरण पर गहन जांच हो सकती है। वसीयत को अभी बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रमाणित किया जाना बाकी है। दत्ता के दावों और संपत्ति के मूल्यांकन को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, और यह मामला भविष्य में कानूनी प्रक्रियाओं से गुजर सकता है।
रतन टाटा के परिवार और उनकी सौतेली बहनें

रतन टाटा ने अपनी वसीयत में अपने परिवार के कुछ सदस्यों को भी बड़ी रकम दी है। हालांकि, उन्होंने अपने सौतेले भाई नोएल टाटा और उनके बच्चों को संपत्ति में से कोई हिस्सा नहीं दिया। अपने भाई जिमी टाटा को 50 करोड़ रुपये का हिस्सा दिया गया है, लेकिन नोएल टाटा को वसीयत में कोई हिस्सा नहीं मिला।
रतन टाटा की वसीयत के इस खुलासे से यह साफ हो गया है कि उनकी संपत्ति के वितरण को लेकर कई अप्रत्याशित निर्णय लिए गए थे। उनके परिवार और करीबी रिश्तेदारों में इस वसीयत को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, और कानूनी जांच जारी है।