कब और कहा से शुरू हुआ G-20, और कितनी है खर्च…

Shankhdhar Shivi
By Shankhdhar Shivi

इस साल 9 और 10 सितंबर को भारत में जी-20 की बैठक होने जा रही है। बता दे कि साल 2008 में इसके गठन के बाद 24 साल में 18वां सम्मेलन नई दिल्ली में होने जा रहा है। इसका पहला सम्मेलन 14-15 नवंबर को अमेरिका का वाशिंगटन, दूसरा सम्मेलन 2009 में 2 अप्रैल को हुआ।

G20 Summit 2023: G-20 की 18वीं समिट इस साल 9 और 10 सितंबर को होने जा रही है। इस साल भारत पहली बार G-20 की मेजबानी करने जा रहा है। जिसकी सालभर से तैयारी चल रही थी। भारत में जी 20 का 18वां सम्मेलन होने जा रहा है, इससे पहले 17 बार बैठक हुई है। जी 20 की स्थापना साल 2008 में कई गई थी और पहली इसकी बैठक अमेरिकी में हुई थी। ग्लोबल इकोनॉमी में करीब 80 फीसदी से ज्यादा का प्रतिनिधित्व करने वाले जी-20 की अध्यक्षता करना भारत के लिए एक बड़ा मौका है। इसके जरिए सदस्य देशों द्वारा क्षमता निर्माण, फंडिंग गैप को कम करने, रोजगार के अवसर बढ़ाने, सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने और समावेशी ईकोसिस्टम में ग्रोथ जैसे सेक्टर्स के लिए ठोस कदम उठाएंगे।

कब और कैसे हुई जी20 की शुरुआत?

  • साल 1999 से पहले एशिया एक आर्थिक संकट से गुजर रहा था।
  • इसी मद्देनजर जर्मनी में जी8 देशों की बैठक का आयोजन हुआ। बैठक के बाद जी20 का गठन किया गया।
  • जी20 बैठक में दुनिया के 20 मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गर्वनर को बुलाया गया।
  • इस संगठन का उद्देश्य विश्व के समक्ष जो आर्थिक चुनौतियां हैं। उनका आपसी चर्चा से हल निकालना था।
  • हालांकि, साल 2008 की वैश्विक मंदी के बाद देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी शामिल होने लगें।

क्या है जी 20 के पास शक्तियां…

जहां तक जी 20 को अधिकारी की बात है तो संयुक्त राष्ट्र की तरफ से इसके बाद कोई विधायी शक्ति नहीं है और न ही इसके सदस्य देशों के बीच उस फैसले को मानने की कोई कानूनी बाध्यता है। मुख्य रुप से समझें तो जी 20 सदस्य देशों के बीच दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने और उसको बढ़ावा देने पर चर्चा होती है। इसमें एजुकेशन, रोजगार और खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करने जैसे मुद्दों पर फैसले लिए जाते हैं।

कौन-कौन से देश हैं जी-20 के सदस्‍य…


जी-20 को सबसे बड़ा वैश्विक संगठन माना जाता है. इसके सदस्‍य देशों में भारत के अलावा फ्रांस, चीन, कनाडा, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, अमेरिका, यूके, तुर्की, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, रूस, मैक्सिको, जापान, इटली, इंडोनेशिया तथा 20वें सदस्य के तौर पर यूरोपीय संघ शामिल है। जी-20 की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक वैश्विक व्यापार में भी ये संगठन 80 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है, और करीब दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्‍व करता है।

सदस्य देशों से व्यापार संबंध होंगे मजबूत…


ग्लोबल इकोनॉमी में जी-20 समूह की हिस्सेदारी के इन आंकड़ों को देखकर इसकी अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसकी अध्यक्षता करने से भारत को ग्रुप के सदस्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को और भी मजबूत करने में मदद मिलेगी। अगर एक्सपर्ट्स की मानें तो उनकी राय में भविष्य की ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ और समृद्धि को हासिल करने में जी20 की एक रणनीतिक भूमिका है। इसमें शामिल देशों से भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अच्छा-खासा इन्वेस्टमेंट आ रहा है, जिसमें बढ़ोतरी की उम्मीद है. G-20 की अध्यक्षता करने से भारत को वैश्विक मंच पर प्रमुख खिलाड़ी बनने का मौका मिल रहा है।

हॉर्टिकल्चर वर्क में 60 करोड़ का खर्चा…

एनडीएमसी एरिया में ज्यादातर हॉर्टिकल्चर वर्क हुआ है, जिस अबतक करीब 60 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। अफसरों का कहना है कि जी20 के दौरान एनडीएमसी फोकस एरिया होगा। इसलिए एनडीएमसी एरिया में जो 41 मेन रोड हैं, उनका रीकारपेटिंग किया गया है। जगह-जगह फाउंटेन लगाए गए हैं। इसके अलावा फुटपाथ के किनारे जितने भी ग्रीन बेल्ट हैं, उसे ग्रास बेड बनाकर सजाया गया है। सौंदर्यीकरण के मामले में एमसीडी और डीडीए सबसे पीछे हैं। एमसीडी ने जी20 के दौरान सौंदर्यीकरण पर अब तक 6-7 करोड़ रुपये ही खर्च किया है।

सुरक्षा को लेकर क्या हैं इंतजाम?

दिल्ली में मेहमानों की सुरक्षा के बंदोबस्त चाक चौबंद कर दिए गए हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले, दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा कारणों से 29 अगस्त से 12 सितंबर तक राष्ट्रीय राजधानी में पैराग्लाइडर, हैंग-ग्लाइडर और हॉट एयर बैलून जैसे उप-पारंपरिक हवाई प्लेटफार्मों की उड़ान पर रोक लगा दी है। दिल्ली में होने वाले जी-20 सम्मेलन के चलते सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हैं। आयोजन स्थलों को फुलप्रूफ बनाने के लिए सुरक्षा बल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉड्यूल का इस्तेमाल कर रही हैं। सुरक्षा के लिहाज से दिल्ली में 50 हजार पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है। वहीं, जी-20 समिट की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए खास वर्दी तैयार की गई है। इसी के साथ, दिल्ली में एंटी टेरर स्क्वॉड भी तैनात की जाएगी।

​सुरक्षा इंतजाम पर 340 करोड़ का खर्च…

जी20 सम्मेलन के लिए दिल्ली में जो काम किए जा रहे हैं, उसमें अलग एजेंसियों ने योगदान दिया है। अलग अलग कार्यों के लिए पैसे भी खर्च किए हैं। लेकिन, सबसे अधिक पैसे सिक्योरिटी अरेंजमेंट पर दिल्ली पुलिस ने खर्च किए हैं। दिल्ली पुलिस ने अब तक सिक्योरिटी अरेंजमेंट पर 340 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। कुछ निजी कंपनियों ने भी दिल्ली में सौंदर्यीकरण के लिए सीएसआर फंड के तहत पैसे उपलब्ध कराए हैं। सीएसआर फंड के तहत करीब 3 करोड़ रुपये दिल्ली के सौंदर्यीकरण पर खर्च किया गया है।

सौंदर्यीकरण पर 45 करोड़ रुपये खर्च…

पीडब्ल्यूडी अफसरों के अनुसार प्रगति मैदान के आसपास का एरिया, लाल किला, सलीम गढ़ फोर्ट से लेकर राजघाट तक ब्यूटिफिकेशन किया गया है। इन इलाकों में करीब 3 दर्जन से अधिक तो फाउंटेन लगाए गए हैं। फाउंटेन बनाने में राजस्थान के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। करोड़ों रुपये इन पर खर्च किया गया है। इसके अलावा फाउंटेन के लिए टैंकरों से पानी उपलब्ध कराने, लाइटिंग के बिजली केबल और डीजी सेट भी हायर किया गया है। इन सभी कार्यों पर 40-45 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। प्रगति मैदान के जितने भी एंट्री- एग्जिट गेट हैं, उनका स्पेशल लुक दिया गया है।

भारत G20 समिट पर अच्छा खासा पैसा खर्च कर रहा है. फिर चाहे बात ₹2,700 करोड़ में तैयार किए गए भारत मंडपम की हो या दिल्ली के सौंदर्यीकरण पर खर्च हुए ₹4,064 करोड़ की। वही बता दे कि समिट के जरिए जी-20 देशों में भारत की छवि और बेहतर होगी। आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया के देश एकजुट होते हैं तो भारत चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को कड़ा संदेश देगा। भारत के पास मौका है, कि मेजबानी करके खुद को दुनिया के सामने जोरदार तरीके से पेश कर सके। G20 Summit।

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