Exam Preparation: आज कल कई छात्र छात्राए जेईई, नीट, कैट, गेट, सिविल सेवा और ओलंपियाड जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। इन परीक्षाओं में प्रतिस्पर्धा के अनुपात में सफलता दर कम होती है।हो सकता है आप भी इन छात्रों में एक हों जो किसी न किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में आपको तैयारी, प्रदर्शन और होड़ के चलते अत्यधिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है।अपने साथियों का नकारात्मक दबाव अक्सर हमे प्रभावित करता है ऐसे में किसी प्रकार की गलती करने से बचे क्योंकि सबकी क्षमता एक जैसी नहीं होती।

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तनाव,चिंता और अवसाद का बन जाएंगे शिकार
इस वजह से तनाव, चिंता और अवसाद का शिकार होना एक आम समस्या है।सबसे बड़ा दवाब तो हम उम्र सहपाठियों या साथियों का होता है खासकर तब जब उनका प्रदर्शन आपसे बेहतर हो।इसे अंग्रेजी में ‘पीयर प्रेशर’ कहा जाता है। जरूरी नहीं कि,साथियों का दबाव नकारात्मक ही हो इसका प्रभाव सकारात्मक भी हो सकता है। ऐसे में आपको धैर्य के साथ नकारात्मक दबाव से निपटने के बारे में विचार करना चाहिए।

सही साथियों का चुनाव
एक नकारात्मक विचार वाला इन्सान या सहपाठी आपका ध्यान भटका सकता है जबकि एक सकारात्मक सोच वाला छात्र आपके हर कदम पर आपको सही सलाह देता है जो आपके कॅरिअर में भी सहायक होता है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के दौरान आस-पास का माहौल महत्वपूर्ण होता है इसलिए हमेशा ऐसे सकारात्मक लोगों और समूह के साथ जुड़ें, जो आपके प्रश्नों और विचारों को समझें।

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सिर्फ सीखने पर करें फोकस
देश में कई ऐसे भी संस्थान हैं जो छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए उन पर बहुत अधिक दबाव डालते हैं। इसके अलावा कई छात्र अपने क्लास शेड्यूल और अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के कारण तनाव, चिंता आदि के शिकार हो जाते हैं। याद रखें प्रतियोगी परीक्षा में प्रतियोगिता से ज्यादा सीखना मायने रखता है इसलिए किसी भी कोचिंग संस्थान में शामिल होने से पहले उस संस्थान के बारे में ठीक से शोध करें।किसी तनाव मुक्त वातावरण प्रदान प्रदान करने वाले संस्थान में ही प्रवेश लें इससे आप अपनी ताकत और कमजोरियों के अनुसार तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।

साथियों का बेहतर प्रदर्शन हो सकता है कारण
छात्रों को कभी-कभी मुख्य परीक्षा या मॉक टेस्ट में असफलता का अनुभव हो सकता है या साथियों का बेहतर प्रदर्शन होने के कारण आत्म-संदेह पैदा हो सकता है।एक बार असफल होने का मतलब यह नहीं है कि,आपकी क्षमताएं कम हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में आत्म- विश्लेषण को प्राथमिकता दें।इसके लिए आप शिक्षक और सलाहकार परामर्श, प्रेरक सत्र और प्रोत्साहन के माध्यम से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
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छात्र दबाव में आकर करने लगते हैं होड़
कई छात्र दूसरों के शेड्यूल, प्रदर्शन या उनकी गति को देखकर दबाव में आ जाते हैं और उनसे होड़ करने में लग जाते हैं। ऐसा कदापि न करें क्योंकि हर किसी की गति, सटीकता, शेड्यूल और रणनीति आदि अलग-अलग होती है।इसके अलावा ऐसी वेबसाइट से जुड़ने से बचें जो आपके प्रदर्शन का सही विश्लेषण करने के बजाय अनावश्यक स्कोर,रैंक आदि दिखाते हैं।आपका कॅरिअर और जीवन आपके द्वारा लिए गए निर्णयों पर निर्भर करता है इसलिए हमेशा विवेकपूर्ण निर्णय लेने चाहिए।