Dhirubhai Ambani birth anniversary: रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी विशाल कंपनी का निर्माण करने वाले धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) का आज 92वां जन्मदिन है। धीरूभाई अंबानी को धीरजलाल हीराचंद अंबानी के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने बेहद कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन शुरू किया। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, जिसके कारण उन्होंने 16 साल की उम्र में अपने गांव के धार्मिक स्थल के पास फल और पकौड़े बेचने का काम शुरू किया। हालांकि, इस काम से ज्यादा लाभ नहीं हुआ, क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि यह व्यापार सिर्फ पर्यटकों के आने पर ही लाभकारी होता था और यह हर समय संभव नहीं था। इस वजह से उन्होंने इस काम को कुछ समय बाद बंद करने का निर्णय लिया।
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यमन में नौकरी और मुंबई की ओर रुख

इसके बाद, साल 1948 में धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) अपने बड़े भाई रमणिकलाल की मदद से यमन के एडेन शहर गए, जहां उन्होंने एक कंपनी में 300 रुपये प्रति महीने की नौकरी शुरू की। यमन में ही उन्होंने पेट्रोल पंप पर काम किया और अपनी मेहनत के दम पर कंपनी ने उन्हें मैनेजर बना दिया। छह साल यमन में काम करने के बाद, 1954 में वे भारत लौट आए और 1955 में सिर्फ 500 रुपये लेकर मुंबई पहुंचे। यहीं से उनका व्यवसायिक सफर शुरू हुआ।
रिलायंस की स्थापना और कारोबार में उन्नति

मुंबई में पहुंचकर धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) ने भारतीय बाजार को बारीकी से समझा। उन्होंने देखा कि भारत में पॉलिएस्टर की भारी मांग है और विदेशी बाजार में भारतीय मसालों की भी बहुत डिमांड है। इस विचार के बाद उन्होंने अपना व्यापार शुरू करने का फैसला किया और एक किराए के मकान में अपना ऑफिस खोला। 1958 में, अपने चचेरे भाई चंपकलाल दिमानी की मदद से, उन्होंने रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन की स्थापना की। इस कंपनी के माध्यम से, उन्होंने पश्चिमी देशों में अदरक, हल्दी, इलायची और कपड़े जैसे उत्पादों का निर्यात शुरू किया।
रिलायंस की शुरुआत के बाद उनका कारोबारी सफर लगातार आगे बढ़ता गया। उनकी मेहनत और सूझबूझ ने उन्हें जल्द ही करोड़पति बना दिया। वे नए-नए व्यवसायों में हाथ डालते गए और 2000 तक वे देश के सबसे अमीर बिजनेसमैन बन गए।
धीरूभाई की उपलब्धियां और योगदान
धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) ने 1958 में जब रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन की स्थापना की तो उनका ऑफिस महज 350 वर्ग फीट में था, जिसमें एक मेज, तीन कुर्सियां और दो सहकर्मी थे। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपना कारोबार बढ़ाया और 1998 में एशिया वीक पत्रिका ने उन्हें ‘पावर 50: एशिया के सबसे शक्तिशाली लोगों’ की सूची में शामिल किया। 2001 में रिलायंस इंडस्ट्रीज, फोर्ब्स इंटरनेशनल 500 कंपनियों की सूची में जगह बनाने वाली पहली भारतीय निजी कंपनी बन गई।

धीरूभाई अंबानी ने 1955 में कोकिलाबेन से शादी की थी। कोकिलाबेन का उनके जीवन में अहम योगदान था और उन्होंने धीरूभाई के साथ हर मुश्किल समय में उनका साथ दिया। उनके चार बच्चे, मुकेश (1957), अनिल (1959), दीप्ति (1961) और नीना (1962) थे।
धीरूभाई अंबानी का निधन
4 जून 2002 को धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) को दिल का दौरा पड़ा और उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया। 6 जुलाई 2002 को 69 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के कुछ साल बाद, उनके दोनों बेटों मुकेश और अनिल के बीच बड़ा विवाद उत्पन्न हुआ, जो उनके बिजनेस के बंटवारे की वजह से हुआ। इस बंटवारे में ICICI बैंक के तत्कालीन चेयरमैन वीके कामत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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