Hizb-ut-tahrir: क्या है इस्लामी समूह हिज्ब-उत-तहरीर? जिस पर केंद्र सरकार ने लगाया बैन

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
सरकार ने हिज्ब-उत-तहरीर को किया प्रतिबंधित

Govt Bans Hizb Ut Tahrir: भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी कड़ी कार्रवाई जारी रखते हुए बृहस्पतिवार को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (HUT) पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह संगठन आतंकवादी गतिविधियों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर इस्लामी खलीफा स्थापित करने का प्रयास कर रहा था। सरकार ने इस संगठन को देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है।

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1953 में यरुशलम में हुई थी संगठन की स्थापना

हिज्ब-उत-तहरीर की स्थापना 1953 में यरुशलम में हुई थी। इसका मकसद वैश्विक इस्लामी खलीफा की स्थापना करना है, जो कि उनके विचार में मुस्लिम दुनिया पर शरिया कानून लागू करेगा। यह संगठन मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय है और इसे आतंकवादी संगठन के रूप में देखा जाता है।

भारत सरकार ने इस संगठन को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि एचयूटी का उद्देश्य भारत सहित दुनिया भर में जिहाद और आतंकवादी गतिविधियों के जरिए इस्लामी राज्य स्थापित करना है। यह संगठन न केवल आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है बल्कि युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

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युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि हिज्ब-उत-तहरीर का मुख्य उद्देश्य युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर उन्हें आतंकी संगठनों में शामिल करना है। संगठन ने सोशल मीडिया, सुरक्षित ऐप और दावाह (निमंत्रण) बैठकों के माध्यम से युवाओं को जिहाद और आतंकवादी गतिविधियों में भाग लेने के लिए उकसाया है। इसके साथ ही संगठन ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने और आईएसआईएस जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से संबंध बनाने का भी काम किया है।

मंत्रालय ने कहा, “यह संगठन आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त है और भारत की आंतरिक सुरक्षा और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन चुका है।” एचयूटी का उद्देश्य लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को उखाड़ फेंकना और इस्लामी खिलाफत की स्थापना करना है, जो कि भारत की सुरक्षा के लिए खतरनाक है।

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एनआईए ने भी की थी कार्रवाई

सरकार के इस बड़े कदम से पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने भी हिज्ब-उत-तहरीर के खिलाफ कार्रवाई की थी। एनआईए ने तमिलनाडु में हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़े एक आरोपी फैज़ुल रहमान के घर पर छापा मारा और वहां से डिजिटल उपकरण और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए। फैज़ुल रहमान पर आरोप है कि उसने तमिलनाडु में संगठन के अलगाववादी एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए कई अभियान चलाए थे।

एनआईए ने अपनी जांच में पाया कि रहमान भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल था और उसने राज्य में कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को उकसाया था। इस छापे में मिली सामग्रियों से संगठन के अलगाववादी एजेंडे का खुलासा हुआ है।

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आतंकवाद के खिलाफ सरकार की कड़ी कार्रवाई

भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीतियों को मजबूत करते हुए हिज्ब-उत-तहरीर पर प्रतिबंध लगाकर एक बड़ा कदम उठाया है। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह संगठन न केवल आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलकर देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रहा है। यह कदम भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। सरकार ने ऐसे आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का संकल्प लिया है, जो देश की आंतरिक सुरक्षा और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बन रहे हैं।

संगठन के खिलाफ अन्य देशों में भी कार्रवाई

हिज्ब-उत-तहरीर पर न केवल भारत में, बल्कि अन्य देशों में भी सख्त कार्रवाई की जा चुकी है। इस संगठन को कई देशों में आतंकी गतिविधियों के कारण प्रतिबंधित किया गया है। सरकार ने इस प्रतिबंध से यह संदेश दिया है कि भारत में आतंकवाद और कट्टरपंथ के लिए कोई स्थान नहीं है। सरकार का यह कदम देश की सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य युवाओं को कट्टरपंथी विचारधाराओं से बचाना और देश में शांति और सुरक्षा को बनाए रखना है।

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