गोवर्धन पूजा के दिन क्या हैं 56 भोग का महत्व? जानें पूजा विधि..

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

गोवर्धन पूजा: दिपावली का त्योहार पांच दिनों तक चलता हैं जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती हैं। सबसे पहले धनतेरस, छोटी दिपावली इसके बाद बड़ी दीपावली। बड़ी दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजन की जाती हैं। इस साल गोवर्धन पूजा 14 नवंबर को होगी। इस पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता।

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उदया तिथि को विशेष महत्व

आपको बता दे कि हिंदू धर्म में उदया तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है, इसलिए गोवर्धन पूजा का पर्व 14 नवंबर को मनाया जा रहा है। गोवर्धन पूजा को पूरे देश में बहुत ही बहुत ही उत्साह के साथ मनाई जाती हैं। ब्रज से शुरू हुई गोवर्धन पूजा पूरे देश में उत्सव की तरह मनाई जाती है।

भगवान से प्रार्थना करते

इस दिन सभी भक्त भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। साथ ही भगवान से प्रार्थना करते हैं कि भगवान अपने भक्तों को सभी संकट से उबारें। इस दिन भक्त भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाते है। आखिर भगवान को 56 भोग क्यों लगाते हैं, तो चलिए जानते हैं-

56 प्रकार के भोग तैयार किए गए

ऐसा माना गया हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को इन्द्र देव के प्रकोप से बचाया था, इसलिए सभी ब्रजवासियों द्वारा श्री कृष्ण के लिए 56 प्रकार के भोग तैयार किए गए थे। तो तभी से यह परंपरा की शुरूआत हुई और आज भी गोवर्धन पूजा के दिन भगवान को 56 भोग लगाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन श्री कृष्ण को 56 भोग लगाते हैं, उनके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है।

जानें गोवर्धन पूजा का शुभ योग

आपको बताते चले कि इस बार गोवर्धन पूजा के दिन शुभ योग बन रहे हैं। गोवर्धन पूजा पर शोभन योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 01 बजकर 57 मिनट तक है। उसके बाद से अतिगंड योग शुरू हो जाएगा। अतिगंड योग शुभ नहीं होता है। हालांकि शोभन योग को एक शुभ योग माना जाता है। इसके अलावा गोवर्धन पूजा के दिन सुबह से ही अनुराधा नक्षत्र होगी।

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गोवर्धन पूजा की विधि

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
  • फिर धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें।
  • भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें।
  • इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।
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