हर दिन का अपना कोई न कोई इतिहास होता है, और 27 फरवरी का दिन भी एक काले अध्याय की याद दिलाता है। इस दिन, साल 2002 में गुजरात के गोधरा स्टेशन से साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन रवाना हुई थी, लेकिन यह यात्रा एक भीषण त्रासदी में बदल गई। अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस में सवार लोग हिंदू तीर्थयात्री थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे। ट्रेन के S-6 कोच में उस दिन ऐसा कुछ हुआ, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
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59 लोग जलकर मारे

गोधरा स्टेशन से ट्रेन जैसे ही चली, तभी कुछ असामाजिक तत्वों ने ट्रेन की चेन खींची, जिससे ट्रेन रुक गई। इसके बाद पथराव हुआ और उसके बाद ट्रेन के S-6 कोच में आग लगा दी गई। इस आग में 59 लोग जलकर मारे गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। यह घटना न सिर्फ गुजरात बल्कि पूरे देश के लिए एक शॉकिंग घटना बन गई।
गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा
साबरमती एक्सप्रेस की आगजनी की घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा का दौर शुरू हो गया, जिसके कारण पूरे राज्य में दंगे भड़क गए। इस घटना ने न सिर्फ गुजरात, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। कई महीनों तक हिंसा का दौर चलता रहा और इसने कई परिवारों को हमेशा के लिए तोड़ दिया।

इस मामले में कई लोग गिरफ्तार किए गए, और बाद में एक जांच आयोग ने इस घटना की जांच की। इसके बाद कई लोग दोषी ठहराए गए, लेकिन इस घटना के बाद जो सांप्रदायिक नफरत फैली, वह आज भी समाज में मौजूद है।साबरमती एक्सप्रेस की आगजनी की घटना को 23 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी वह दिन लोगों के ज़ेहन में ताजा है। यह घटना न केवल एक ट्रेन हादसा थी, बल्कि यह हमारे समाज में धार्मिक असहिष्णुता और हिंसा का प्रतीक बन गई।
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पीड़ितों को न्याय दिलाने में लगातार संघर्ष
आज भी इस घटना की याद दिलाने के लिए कई शोक सभाएं और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। साबरमती एक्सप्रेस के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष लगातार जारी है। यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि हमें समाज में शांति और एकता बनाए रखने के लिए हमेशा सचेत रहना चाहिए और ऐसी घटनाओं से कुछ सीख लेनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की हिंसा की पुनरावृत्ति न हो।