West Bengal: बॉलीवुड अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। एक समय में नक्सल समर्थक रहे मिथुन चक्रवर्ती आज हिंदूत्व के चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। मिथुन राजनीतिक समीकरणों के अनुसार वोटों की गणना में एक नया तरीका अपनाते हैं। भाजपा को उनके इस साहस से बंगाल में हिंदुत्व के पक्ष में एक और प्रसिद्ध व्यक्ति मिला है।
नक्सल समर्थक और राजनीतिक करियर
मिथुन चक्रवर्ती ने अपने करियर की शुरुआत में नक्सल समर्थक गतिविधियों में शामिल होने की बात कही थी। उन्होंने नक्सल आंदोलन के समर्थन में कई बयान दिए थे और उस समय के वामपंथी आंदोलन के साथ जुड़े हुए थे। मिथुन चक्रवर्ती ने 2014 में भाजपा में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए प्रचार किया और पार्टी के लिए कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।
हिंदूत्व के चेहरे के रूप में उभार
West Bengal: मिथुन चक्रवर्ती ने अपने राजनीतिक करियर में हिंदूत्व के मुद्दों पर जोर दिया है। उन्होंने कई बार हिंदू समुदाय के हितों की रक्षा करने की बात कही है और भाजपा की हिंदूत्ववादी नीतियों का समर्थन किया है। वर्तमान में मिथुन चक्रवर्ती पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा बन गए हैं। उन्होंने भाजपा के लिए प्रचार किया है और पार्टी के लिए कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं हैं। उनकी लोकप्रियता और प्रभाव का उपयोग भाजपा ने अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया है।
ममता बनर्जी हिंदुओं के लिए खतरा
बता दें, मिथुन भगवा चोला ओढ़ने के बाद जहां एक ओर ममता बनर्जी के आलोचक बने तो वहीं दूसरी ओर हिंदुत्व समर्थक बन गए। TMC ने उनके पिछले बयान की काफी आलोचना की, जिस बयान में उन्होंने कहा था कि हिंदुओं को बंगाल में रहना मुश्किल हो जाएगा अगर बीजेपी 2026 में सत्ता में नहीं आती। वक्फ अधिनियम के खिलाफ मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद मिथुन ने ममता बनर्जी को हिंदुओं के लिए खतरा बताया। मिथुन ने टीएमसी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह बंगाल में हिंदुओं को दुर्व्यवहार कर रहा है और सांप्रदायिक तनाव पैदा कर रहा है। अब उन्होंने राष्ट्रपति शासन के दौरान विधानसभा चुनाव कराने की मांग की है। साथ ही ये भी कहा है कि बंगाल में हिंदू एकजुट होने लगे हैं और अब ममता बनर्जी को बचाने के लिए कोई नहीं है।