एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाता, ऐसा क्यों....
चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और खून के सेवन के समान है
पौराणिक कथा के मुताबिक, एकादशी के दिन ही महर्षि मेधा ने मां भागवती के क्रोध से बचने के लिए अपने शरीर का त्याग कर दिया था.
माना जाता है कि महर्षि मेधा के शरीर के अंश धरती में समा गए थे और उनका जन्म जौ और चावल के रूप में हुआ था.
शास्त्रों के मुताबिक, एकादशी के दिन चावल खाने से विष्णु पूजन का पूर्ण फल नहीं मिलता.
चावल में पानी की मात्रा ज़्यादा होती है और चंद्रमा का प्रभाव पानी पर ज़्यादा होता है.
चंद्रमा मन का कारक ग्रह है, इसलिए चावल खाने से मन विचलित और चंचल हो जाता है.
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