जल ही जीवन हैं जल बर्वाद तो जीवन बर्वाद…

Shobhna Rastogi
By Shobhna Rastogi

यह तो हम सब जानते है कि जल है तो कल है फिर भी हम जल को दूषित करते है । जल केवल पीने के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे दैनिक उपयोग के पूर्ति के लिए भी है जैसे स्नान करने, खाना पकाने, सफाई करने और कपड़े धोने आदि के लिए भी आवश्यक है।

जानें क्या होता है जल प्रदूषण ?

जब झीलों, नहरों, नदियों, समुद्र साथ अन्य जल निकायों में विषैले पदार्थ शामिल होते है। यह विषैले पदार्थ जल मे विलय हो जाते है अर्थात पानी में पड़े रहते हैं। इसकी वजह से जल प्रदूषित हो जाता है और जिससे जल की गुणवत्ता में कमी आ जाती है साथ ही जलीय प्रणाली पर इसका प्रभाव भी पड़ता है। प्रदूषकों का भूमि में रिसन भी हो सकता है जिसके कारण भूमि-जल भी प्रभावित होता है।

बता दें हर साल औसतन 6 अरब किलोग्राम कूड़ा सागरों , महासागरों में फेंका जाता है। औद्योगिक और बेकार जल को बिना किसी उपचार के जल मे प्रवाहित किया जाता है, साथ ही अन्य प्रकार की अवांछित सामग्री को भी विभिन्न जल निकायों में फेंक दिया जाता है। इनमें परमाणु कचरे से लेकर तेल रिसाव तक हो सकता है – जिसके परिणामस्वरूप विशाल क्षेत्र निर्जन हो सकते हैं।

READ MORE:- Delhi Flood: उफान पर यमुना, दिल्ली हुआ पानी – पानी | Yamuna Water level

नदियों को स्वच्छ रखना हम सबकी प्राथमिक जिम्मेदारी है…

नदियां हम सबकी प्यास बुझाती है। हम सब में से अधिकांश भारतीय नदियों की पूजा करते हैं। इसलिए नदियों को स्वच्छ रखना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। नदियों को स्वच्छ रखने के हमें इसमें प्लास्टिक की थैलियां, बोतल और अन्य सामग्री नदियों में नहीं फेंकनी चाहिए और न ही नदियों के आस-पास इससे कचरा उड़कर नदियों में ही चला जाता है। मूर्तियों में प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करें और वहीं मिट्टी की मूर्तियां नदियों में विसर्जित करनी चाहिए। उद्योगों का रसायन मिला पानी, सीवरेज का पानी नदियों में नहीं जाना चाहिए। माना जाता है कि गंगा पापों को धो देती है। इसलिए लोग शवों को भी नदी में बहा देते हैं। इससे नदी प्रदूषित हो जाती है। नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए सभी को जागरूक होना चाहिए।

नदियों में शव न बहाए जाएं

नदियों में छोड़े जाने वाले औद्योगिक एवं घरेलू कचरे और दूषित जल की निकासी का सही से इलाज होना चाहिए। बड़े उद्योगों से निकलने वाले दूषित पदार्थों को नदियों में प्रवाहित करना सख्त मना होना चाहिए। नदियों में शव बहाना पर तत्काल प्रतिबंध लगाना चाहिए। नदियाँ हमारी स्वयं की संपत्ति हैं।

न करें जलीय जीवों का शिकार

नदियां हमारे जीवन का अहम हिस्सा हैं। परेशानी यह है कि आजकल के मानवीय हस्तक्षेप की वजह से नदियां लगातार प्रदूषित हो रही हैं। जिम्मेदार नागरिक हमें तरह के कूड़े-करकट, पॉलिथीन जैसे पदार्थ नदियों में नहीं डालना चाहिए।

हमें नदियों में रहने वाले जीवों का शिकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये जीव नदी को प्रदूषित होने से रोकते हैं। और न ही मृत जीव-जंतुओं को नदी में बहाना चाहिए। सरकार को फैक्ट्रियों से निकलने वाले जहरीले रसायनों को नदियों में मिलने से रोकना चाहिए इसके कारण जल तो दूषित होता है साथ ही जलीय जीव भी मर जाते है।

जल शुद्धीकरण संयंत्र का प्रयोग करना

नदियों को स्वचछ बनाने के लिए हमें सर्वप्रथम नदियों से जुड़े नालों को बंद करना चाहिए। तटों पर बने उद्योग से नदी में मिलने वाले रासायनिक पदार्थों पर पूरी तरह प्रतिबंद लगना चाहिए। साथ ही शहरों में जल शुद्धीकरण संयंत्रों का प्रयोग होना चाहिए जिससे नदी में स्वच्छ जल ही पहुंचे।

कैसे रहेगी सुरक्षित नदियां

1.नदियों में शव नहीं बहाए जाएं।
2.शहरों का गंदा पानी और फैक्ट्रियों का प्रदूषित जल नदियों में न जाने दें।
3.नदी-तालाबों को साफ रखना हमारे खुद के हित में है।

नियमों का सख्ती से पालन

नदियों को लगातार प्रदूषित किया जा रहा है। इस समस्या से छुटकारा पाने हेतु नए कानूनों और नियमों का भी निर्माण किया जाना चाहिए। इन नियमों और कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। नदियों के किनारे स्थापित गांव, शहरों और कारखानों को इस संबंध में जागरूक किया जाना चाहिए।

पूजा सामग्री नदियों में न प्रवाहित करें

भारत के हर इलाकों में नदियों की पूजा की जाती है। इसके बावजूद प्रदूषण से उनका पवित्र जल विषैला हो रहा है। सभी देशवासियों को जागरूकता के साथ नदियों को स्वच्छ रखने की प्रतिज्ञा लेनी होगी।

READ MORE:- प्राचीन नागेश्वर मंदिर परिसर में भरा बारिश का गन्दा पानी…

किसी भी तरह की पूजा सामग्री तथा अन्य गंदगी नदियों में न फेंके। भारत सरकार को भी सख्त कार्रवाई करके फैक्ट्रियों से निकलने वाली गंदगी को नदियों में न जाने दिया जाएं। शहरों से जुड़ने वाले गंदे नालो को नदियों मे मिलने से रोका जाएं।

सशक्त कदम उठाए जाएं

नगरों,उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्टों के कारण नदियों में प्रदूषण बढ़ गया है। इसके कारण इनके आस-पास के क्षेत्रों मे बीमारियों ने घर बन लिए हैं। यदि नदियों को प्रदूषण मुक्त करना है, तो इसके लिए ठोस कदम उठाना बेहद जरुरी है।

सरकार की भागीदारी जरूरी

नदियां मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए समाज के साथ-साथ सरकार दोनों की भागीदारी जरुरी है।

लोगों को प्लास्टिक का प्रयोग कम करना चाहिए। नदियों में किसी भी प्रकार का कूड़ा नहीं डालना चाहिए। सरकार को लोगों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करना चहिए।

नियमों का पालना जरूरी

READ MORE:- Train Cancellation: जल जमाव के कारण रेल यात्रा पर लगाई गई रोंक ,जानें ट्रेनों का हाल…

नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए NGT(National Green Tribunal)नियमों का पालन करना जरुरी है। देश की नदी नीति घोषित की जाए। पर्यावरण एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की देश एवं प्रदेश स्तर की समितियां बनाई जाए, जो नदी परियोजनाओं के निर्माण में सहयोग दें। देश मे नदी आयोग का गठन हो। प्रदेश मे नदी प्राधिकरण बनाए जाएं। कचरा एवं गंदा पानी नदियों में मिलने से रोका जाए।

कचरे का प्रबंधन जरूरी

नदियां हमारे पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन वर्तमान समय में यह मानव गतिविधियों के कारण नदियां प्रदूषित हो गई है। नदियों से प्रदूषण कम करने के लिए आम जनता का जागरूक होना जरुरी है। बता दें कि भारत मे रहने वाले 163 मिलियन भारतीयों को पीने का पानी नही मिल पाता अर्थात वह दूषित जल पीते है जिसके कारण भारत मे हर दिन 500 बच्चों की मौत हो जाती है। हम अपने हर पाठक से अनुरोध करते है कि वह कृपया करके नदियों में अनावश्यक रूप से कचरा ना डालें और घरों से निकले कचरे की पर्याप्त व्यवस्था करें।

Share This Article
Exit mobile version