Waqf Bill Protest: पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के भांगड़ इलाके में सोमवार, 14 अप्रैल 2025 को वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन एक बार फिर हिंसक हो उठा। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया और कई स्थानों पर जमकर तोड़फोड़ की। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इलाके में भारी संख्या में पुलिसबल तैनात किया गया है।
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ISF विधायक के समर्थन में उतरे लोग हुए उग्र
बताते चले कि, वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल में बीते कई दिनों से चल रहे विरोध-प्रदर्शनों का स्वरूप लगातार हिंसक होता जा रहा है। सोमवार को ISF विधायक नौशाद सिद्दीकी के नेतृत्व में एक प्रदर्शन किया जा रहा था, जिसमें पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोका। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने बैरमपुर में सड़क पर जाम लगा दिया। स्थिति बेकाबू होते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप
विवाद के बीच सीपीआई (एम) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने मुर्शिदाबाद का दौरा किया और प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “मैं खुद उस जगह गया जहां हिंसा हुई और लोग मारे गए। वहां पुलिस की कोई मौजूदगी नहीं थी। गांव वालों ने बार-बार मदद मांगी, लेकिन पुलिस और दमकल नहीं पहुंचे। पूरा गांव लूट लिया गया, जला दिया गया और तबाह कर दिया गया।”
बीजेपी अध्यक्ष ने राहत शिविर का किया दौरा
इस बीच बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने मालदा में एक स्कूल में स्थापित राहत शिविर का दौरा किया। यह राहत शिविर उन हिंदू परिवारों के लिए बनाया गया है जो मुर्शिदाबाद की हिंसा के बाद अपने घर छोड़कर यहां शरण लेने को मजबूर हुए। मजूमदार ने पीड़ितों से मुलाकात की और प्रशासन द्वारा स्थापित विशेष नियंत्रण कक्ष का भी दौरा किया।
बीजेपी पर हिंसा भड़काने का आरोप
बीजेपी के राहत शिविर दौरे को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने आरोप लगाया कि बीजेपी और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक तनाव फैलाकर दंगे भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सब एक साजिश के तहत हो रहा है ताकि राज्य में अशांति फैलाई जा सके।
वक्फ कानून बना सियासी और सामाजिक टकराव का कारण
पश्चिम बंगाल में वक्फ संशोधन कानून को लेकर जारी विवाद अब महज कानूनी बहस न रहकर राजनीतिक और सामाजिक टकराव का रूप ले चुका है। जहां एक ओर हिंसा और विस्थापन की घटनाएं बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। स्थिति फिलहाल संवेदनशील बनी हुई है और प्रशासन को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है।