Badaun : यूपी के बदायूं में अपनी गर्भवती पत्नी का पेट फाड़ देने के मामले में पति को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।ये दिल दहला देने वाला मामला साल 2020 का है। आपको बता दें कि आज के दौर में ऐसा कहा होता है की ये नया जमाना है। ऐसी सोच कोई नहीं रखता है। की लड़के की चाहत इतनी हो जाए की परिवार ही बेटी का दुश्मन बन बैठे। लेकिन, अफसोस की बात ये है की आज के समाज में भी ऐसा होता है। जहां एक पति ने अपनी गर्भवती महिला का पेट फाड़ दिया। पेट फाड़ने के वजह महज ये थी की पति देखना चाहता था की महिला के पेट में बेटा है या फिर बेटी।

महिला पहले पांच बेटियों को जन्म दे चुकी थी। लेकिन वह पांचों लड़कियां थीं। महिला फिर से गर्भवती हुई तो पति को इस बात का डर सताने लगा की कहीं फिर से लड़की ना हो जाए। ऐसे में प्रसव तक का इंतजार करने के बजाय पति ने पत्नी का हसिए से पेट ही फाड़ दिया। महिला के पेट में लड़का था लेकिन पति की इस हरकत से बच्चे की मौत हो गई।
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कोर्ट के फैसले से पीड़ित पत्नी काफी खुश

आपको बता दें कि अपनी पत्नी का हसिए से पेट फाड़ने वाले इस पति को न्यायालय ने तीन साल बाद आजीवन कारावास और 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपी की पत्नी पांच बेटियों को जन्म दे चुकी थी। वहीं गर्भ में पल रहा छठवां बच्चा बेटा है या बेटी यह देखने लिए नशे में धुत पति ने पत्नी से झगड़े के बाद हसिए से उसका पेट ही फाड़ दिया। पेट फटने की वजह से गर्भ में पल रहे शिशु की मौत हो गई, इत्तेफ़ाक भी ऐसा की वो बेटा ही था। कोर्ट के फैसले से पीड़ित पत्नी काफी खुश है।
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जानें क्या था पूरा मामला?
अनीता ने बताया कि पन्नालाल यह कहते हुए उससे झगड़ा करने लगा कि उसने अब तक पांच बेटियों को जन्म दिया है और गर्भ में पल रहा छटवां बच्चा बेटा है बेटी यह उसे पेट फाड़कर देखना है। इस बात को सुनकर पहले तो महिला काफी डर गई, फिर अनीता और उनकी बेटियों ने विरोध किया लेकिन पन्नालाल नहीं माना और हसिए से पेट फाड़ दिया। पेट फटने से अनीता के गर्भ में पल रहे 8 महीने के बच्चे का पैर बाहर निकल आया।

घरवाले अनीता को तत्काल अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां से उसे हायर सेंटर रेफर किया गया था। यहां डॉक्टर ने अनीता की तो जान बचा ली, लेकिन गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई और इत्तेफाक से वह बच्चा बेटा ही था। अनीता का लगभग 8 महीने तक इलाज चला और पुलिस ने पन्नालाल के खिलाफ धारा 307 और 313 के तहत मामला दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
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सच की जीत हुई : एडीजीसी

अनीता के पेट फाड़ने के मामले में महिला अपराध के फास्टट्रेक कोर्ट के न्यायाधीश सौरभ सक्सेना ने हत्या के प्रयास और इच्छा के विरुद्ध गर्भपात कराने के मामले में जीवन भर कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में महिला की ओर से एडीजीसी मुनेंद्र प्रताप सिंह ने केस लड़ा। उन्होंने कहा कि आरोपित खुद को बचाने के लिए कई बार झूठे गवाह और साक्ष्य प्रस्तुत करता रहा। कम सजा मिले इसके लिए खुद को गरीब भी बताते हुए रहात मांगी। लेकिन आखिर में सच की जीत हुई और झूठ की हार। एक पीड़ित महिला को न्याय दिलाकर सुखद अहसास की अनुभूति हो रही है।