Bangladesh में आरक्षण को लेकर फिर से भड़की हिंसा; 32 लोगों की मौत, सोशल मीडिया पर लगी पाबंदी

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Bangladesh Violence

Bangladesh Violence: बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे को लेकर फिर से आक्रोश भड़क उठा है। छात्रों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है, जिसके चलते सरकार ने इंस्टाग्राम, फेसबुक, टिकटॉक और यूट्यूब जैसे प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पाबंदी लगा दी है। हालांकि, इस बैन को लेकर बांग्लादेश (Bangladesh) सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार, सरकार ने यह कदम हिंसा को रोकने के लिए उठाया है। भारत ने बांग्लादेश में रह रहे भारतीय नागरिकों से संपर्क में रहने और सतर्क रहने के लिए कहा है। इसके साथ ही छात्रों सहित सभी भारतीयों को आपातकालीन स्थिति में हेल्पलाइन नंबर +88-01313076402 पर संपर्क करने की सलाह दी गई है।

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विरोध प्रदर्शन के चलते हुई फिर से मौतें

शुक्रवार को भड़के विरोध प्रदर्शन में देश के कई हिस्सों में हिंसा हुई, जिसमें 32 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए। ढाका में हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। पिछले महीने भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 115 लोगों की मौत हो गई थी।

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आरक्षण का विवाद

बांग्लादेश में आरक्षण का मुद्दा लंबे समय से विवादित रहा है। सरकारी नौकरी में 1971 के मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण है, जिसे लेकर छात्रों में भारी नाराजगी है। प्रदर्शनकारी इस आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने 2018 में कोटा प्रणाली को खत्म कर दिया था, लेकिन पिछले महीने एक अदालत ने इसे फिर से लागू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियों को योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित करने का आदेश दिया है। शेष 7 प्रतिशत नौकरियां स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के रिश्तेदारों और अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षित की गई हैं।

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विपक्ष और सरकार का आरोप-प्रत्यारोप

मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन किया है। वहीं, शेख हसीना की पार्टी ने विपक्ष पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। सरकार का दावा है कि विपक्ष छात्रों को भड़काकर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंक रहा है, जबकि विपक्ष का कहना है कि सरकार की नीतियाँ अलोकतांत्रिक और असंवेदनशील हैं।

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हिंसा और अशांति चिंता का विषय

बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर हो रही हिंसा और अशांति चिंता का विषय है। आरक्षण का उद्देश्य समाज के पिछड़े वर्गों को समान अवसर प्रदान करना है, लेकिन यह तभी सफल हो सकता है जब इसे सही ढंग से लागू किया जाए। सरकार और न्यायपालिका को इस मामले में संतुलित और निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, ताकि सभी वर्गों के हितों की रक्षा हो सके। बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर पाबंदी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। सरकार को जल्द से जल्द छात्रों की मांगों पर विचार करना चाहिए और समाधान निकालना चाहिए, ताकि हिंसा और अशांति को रोका जा सके। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाना सिर्फ अस्थायी समाधान है; स्थायी समाधान के लिए सरकार को छात्रों और अन्य हितधारकों के साथ संवाद करना आवश्यक है।

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