Bangladesh में हिंसा और कर्फ्यू का माहौल, Shoot At Sight के दिए आर्डर…. मृतकों की संख्या पहुंची 115

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
बांग्लादेश में हिंसा जारी

Bangladesh Violence: बांग्लादेश (Bangladesh) में आरक्षण के मुद्दे पर हिंसा ने उग्र रूप ले लिया है। राजधानी ढाका और अन्य हिस्सों में हिंसा के चलते कर्फ्यू लगा दिया गया है। हिंसक झड़पों में कई लोगों की मौत और सैकड़ों के घायल होने के बाद सरकार ने यह कठोर कदम उठाया है। पुलिस को उपद्रवियों को “देखते ही गोली मारने” (Shoot At Sight) का आदेश दिया गया है, जिससे हालात और गंभीर हो गए हैं।

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सख्त कर्फ्यू और गोली मारने का आदेश

सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव और सांसद ओबैदुल कादर ने बताया कि कर्फ्यू आधी रात से शुरू हुआ और दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक लोगों को आवश्यक काम निपटाने के लिए थोड़ी ढील दी गई। कर्फ्यू के दौरान पुलिस और सैनिकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि चरम मामलों में भीड़ पर गोली चलाने की अनुमति होगी। कर्फ्यू रविवार सुबह 10 बजे तक जारी रहेगा।

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सड़कों पर सैनिकों की गश्त और सार्वजनिक अवकाश

शनिवार को ढाका की सुनसान सड़कों पर सैनिकों ने गश्त की और सरकार ने सभी कार्यालयों और संस्थानों को दो दिनों के लिए बंद रखने का आदेश दिया। सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए रविवार और सोमवार को “सार्वजनिक अवकाश” घोषित किया है, जिसमें केवल आपातकालीन सेवाओं को ही संचालित करने की अनुमति दी गई है।

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छात्रों के विरोध और सरकारी कदम

बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान इस सप्ताह कम से कम 114 लोगों की मौत हो गई थी। आरक्षण के खिलाफ छात्रों के गुस्से ने पूरे देश में अशांति फैला दी। सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर छात्रों में भारी नाराजगी थी, जिसमें पाकिस्तान से आजादी के लिए लड़ने वालों के परिवारों के लिए 30% आरक्षण शामिल था। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने 2018 में कोटा प्रणाली को खत्म कर दिया था, लेकिन पिछले महीने एक अदालत ने इसे फिर से लागू कर दिया।

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अदालत का हस्तक्षेप और अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की अपील के बाद इस फैसले को निलंबित कर दिया और 7 अगस्त को होने वाली सुनवाई को आगे बढ़ाने पर सहमति जताते हुए रविवार को मामले की सुनवाई करेगा। अदालत के इस हस्तक्षेप के बाद भी विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला थमा नहीं है और हिंसा बढ़ती ही जा रही है। बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर जो हिंसा भड़की है, वह गंभीर चिंता का विषय है। सरकार और अदालत के बीच के इस निर्णय ने छात्रों के गुस्से को और भड़काया है। हालांकि, सरकार ने कर्फ्यू लगाकर और सार्वजनिक अवकाश घोषित करके स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया है, लेकिन इस तरह की हिंसा से कोई सकारात्मक समाधान नहीं निकलेगा।

सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर छात्रों और अन्य संबंधित पक्षों से संवाद करें और एक समावेशी नीति बनाए, जो सभी के हितों को ध्यान में रखे। आरक्षण एक संवेदनशील मुद्दा है और इसे सुलझाने के लिए सभी पक्षों की बात सुननी और समझनी चाहिए। इस प्रकार की हिंसा से देश की छवि और आंतरिक स्थिरता को नुकसान पहुंचता है। सरकार और न्यायपालिका को मिलकर एक ठोस और निष्पक्ष समाधान निकालने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति न उत्पन्न हो।

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