Paris Olympics: खेल पंचाट की खंडपीठ ने पहलवान विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) की रजत पदक देने की अपील बुधवार को खारिज कर दी है. इस फैसले से विनेश फोगाट, उनके परिवार और देशभर के लोगों को बड़ा धक्का लगा है अगर यह अपील स्वीकार की जाती, तो देश को एक और रजत पदक मिल सकता था. इसके साथ ही, विनेश के साथ उनके कोच और द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फोगाट का 24 साल पुराना ओलंपिक पदक का सपना भी अधूरा रह गया.
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लंबे इंतजार के बाद मिली निराशा
विनेश (Vinesh Phogat) प्रकरण में खेल पंचाट खंडपीठ का फैसला आने का फोगाट परिवार और देशवासियों को पिछले छह दिनों से बेसब्री से इंतजार था। मंगलवार को सुनवाई के बाद खंडपीठ ने 16 अगस्त को फैसले की घोषणा की थी, लेकिन बुधवार को ही विनेश की रजत पदक की अपील खारिज कर दी गई. यह फैसला विनेश के लिए एक बड़ा धक्का है, क्योंकि उन्होंने पहले ही कुश्ती छोड़ने का ऐलान कर दिया था। अपील खारिज होने से न केवल विनेश, बल्कि उनके पूरे परिवार, विशेषकर उनकी मां प्रेमलता और अन्य परिजन, भी गहरे दुख में हैं.,
महाबीर फोगाट का अधूरा सपना
महाबीर फोगाट का परिवार पिछले लगभग 30 सालों से कुश्ती के क्षेत्र में सक्रिय है. पहले महाबीर स्वयं कुश्ती लड़ते थे, फिर वर्ष 2000 में उन्होंने अपनी बेटियों गीता, बबीता, संगीता और रितू के साथ भतीजियों विनेश और प्रियंका फोगाट को भी अखाड़े में उतार दिया. महाबीर का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने का सपना उनकी बेटियों और भतीजी विनेश ने पूरा कर दिया, लेकिन ओलंपिक पदक का सपना अभी भी अधूरा है. खेल पंचाट का निर्णय पक्ष में आने से यह सपना पूरा होने की उम्मीद थी, जो बुधवार शाम धूमिल हो गई. इससे न केवल देश को पदक का नुकसान हुआ, बल्कि विनेश का सपना भी अधूरा रह गया.
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गांव बलाली में मायूसी, लेकिन उम्मीद कायम
बलाली के सरपंच प्रतिनिधि बिंद्राज ने बताया कि फैसला चाहे जो भी हो, गांव की बेटी विनेश (Vinesh Phogat) को दुर्भाग्यवश पदक नहीं मिल पाया. गांव के लोग विनेश के बलाली वापस आने का इंतजार कर रहे हैं, जहां उनका चैंपियन अंदाज में स्वागत किया जाएगा. हालांकि, विनेश के गांव आने के बारे में अभी उनके परिजनों से कोई चर्चा नहीं हो पाई है. फोगाट परिवार को अगर देश के लिए ओलंपिक पदक का सपना पूरा करना है, तो विनेश को संन्यास का फैसला वापस लेना होगा और अगले ओलंपिक की तैयारी में जुटना होगा.
विनेश को मनाने की तैयारी
परिजनों का प्रयास रहेगा कि जब विनेश अपने पैतृक गांव बलाली लौटें, तो उन्हें अगले ओलंपिक की तैयारी के लिए राजी किया जाए. फिलहाल, परिवार सही वक्त का इंतजार कर रहा है ताकि विनेश को मनाया जा सके और देश के लिए एक और पदक की उम्मीद बरकरार रखी जा सके.
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