उपराष्ट्रपति ने संसद भवन में किया प्रेरणा स्थल का उद्घाटन,कांग्रेस ने बताया लोकतंत्र की भावना का उल्लंघन

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

Prena Sthal Inauguration By Vice President: मोदी सरकार 3.O के कार्यकाल की शुरुआत हो चुकी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पोर्टफोलियो का भी बंटवारा कर दिया है.इस बीच अब केवल 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव होना बाकी है उम्मीद है कि,26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का भी चुनाव हो जाएगा.24 जून से 3 जुलाई तक संसद का 8 दिवसीय विशेष सत्र होने वाला है जहां 24 और 25 जून को नए सांसदों का शपथ ग्रहण हो सकता है और 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का भी चुनाव होगा।

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उपराष्ट्रपति ने किया प्रेरणा स्थल का उद्घाटन

उपराष्ट्रपति ने किया प्रेरणा स्थल का उद्घाटन

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद भवन परिसर में रविवार को प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया जहां देश के महान नेताओं की मूर्तियों को एकसाथ एक जगह स्थापित किया जाएगा.विपक्ष ने इस पर अपनी आपत्ति जताई है और इसे लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन बताया है.संसद भवन परिसर में प्रेरणा स्थल उद्घाटन के मौके पर उपराष्ट्रपति के साथ 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला,केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू,राज्यसभा के सभापति हरिवंश नारायण सिंह,केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव,अर्जुन राम मेघवाल और एल मुरुगन ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

कांग्रेस अध्यक्ष ने जताई आपत्ति

कांग्रेस अध्यक्ष ने जताई आपत्ति

संसद भवन परिसर में प्रेरण स्थल के निर्माण पर विपक्ष ने अपनी आपत्ति जताई है.कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट कर कहा है,संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी और डॉ बाबासाहेब अंबेडकर समेत कई महान नेताओं की मूर्तियों को उनके प्रमुख स्थानों से हटाकर एक अलग कोने में स्थापित कर दिया गया है.बिना किसी सलाह के मनमाने ढंग से इन मूर्तियों को हटाना हमारे लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे लिखा,महात्मा गांधी और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मूर्तियों की प्रतिमाएं और अन्य महान नेताओं की प्रतिमाएं विचार विमर्श के बाद उचित स्थान पर स्थापित की गई थी.प्रत्येक प्रतिमा और संसद भवन परिसर में उसका स्थान खास महत्व रखता है.पुराने संसद भवन के ठीक सामने स्थित ध्यान मुद्रा में महात्मा गांधी की प्रतिमा भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अत्यधिक महत्व रखती है.ये वो स्थान है जहां संसद के सदस्य अक्सर शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन करते थे।

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जयराम रमेश ने किया फैसले का विरोध

जयराम रमेश ने किया फैसले का विरोध

कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा,संसद भवन परिसर में राष्ट्रीय नेताओं और सांसदों की तस्वीरों और मूर्तियों को स्थापित करने के लिए एक समिति है जिसे संसद भवन परिसर में राष्ट्रीय नेताओं और सांसदों की तस्वीरों और मूर्तियों की स्थापना पर समिति कहा जाता है जिसमें दोनों सदनों के सांसद शामिल होते हैं…2019 के बाद से समिति का पुनर्गठन नहीं किया गया है।कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने एक ट्वीट में इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए लिखा है,लोकसभा की वेबसाइट के अनुसार….चित्रों और मूर्तियों से संबंधित संसदीय समिति की आख़िरी बैठक 18 दिसंबर, 2018 को हुई थी.

17वीं लोकसभा (2019-2024) के दौरान इसका पुनर्गठन भी नहीं किया गया.ये पहली बार उपाध्यक्ष के संवैधानिक पद के बिना ही काम कर रही थी.आज संसद परिसर में बड़े पैमाने पर मूर्तियों को स्थानांतरित किया जा रहा है.ये स्पष्ट रूप से सत्तारूढ़ शासन द्वारा लिया गया एक तरफा निर्णय है.इसका एकमात्र उद्देश्य महात्मा गांधी और डॉ.अंबेडकर की मूर्तियों को संसद की उस जगह के पास से दूर हटाना है जहां बैठक होती है.दरअसल,ये मूर्तियां ही शांतिपूर्ण, वैध और लोकतांत्रिक ढंग से विरोध दर्ज करने के पारंपरिक स्थल थे.ऐसा करके महात्मा गांधी की प्रतिमा को केवल एक बार नहीं बल्कि दो बार विस्थापित किया गया है।

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