अमेरिकी सरकार ने Adani Group को दी क्लीनचिट, Hindenburg के आरोपों को बताया गलत..

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

Adani Group: अडानी ग्रुप पर हेराफेरी के लगे बड़े आरोपों के बाद अब अमेरिकी सरकार के तरफ से बड़ी राहत मिल गई है। अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने Adani Group पर हेरफेरी के कई बड़े आरोप लगाए थे। जिसके बाद से अडानी समूह के सभी शेयरों में भारी गिरावट आई थी। अडानी समूह पर काफी लंबे समय से जांच चल रही थी, अब जाकर जांच पूरी हो गई है और हेरफेर के सभी आरोपों को गलत पाया गया है।

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अडानी ग्रुप के दौलत पर भारी नुकसान हुआ

वहीं आपको बता दे कि हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अडानी ग्रुप के दौलत पर बहुत भारी नुकसान हुआ। हर तरफ Adani Group के हेरफेर के चर्चे शुरु हो गए। संसद में भी अडानी ग्रुप का मुद्दा गरमाया। लेकिन अब अडानी समूह को अमेरिकी सरकार की तरफ से क्लीनचिट मिल गई है। क्लीनचिट मिलने से हिंडनबर्ग के मकसद पर पानी फिर गया है। काफी लंबे समय से अडानी समूह पर जांच चल रही थी, ये जांच अमेरिकी सरकार कर रही थी।

Adani Group हेरफेर के आरोपों से हुआ आजाद

काफी लंबे समय से अमेरिकी सरकार Adani Group पर जांच कर रही थी, जो की अब पूरी हो चुकी है और अब ये समूह हेरफेर के सभी आरोपों से आजाद हो चुका है। गौतम अडानी को क्लीनचिट देने के बाद अमेरिकी सरकार ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में गौतम अडानी पर लगाए गए फ्रॉड के आरोप निराधार हैं। साथ ही हिंडनबर्ग की मंशा पर सवाल उठाया है। गौतरलब है कि अमेरिका चीन के प्रभाव को कम करने के लिए श्रीलंका में अडानी ग्रुप के साथ आया है।

अडानी समूह कोलंबो में पोर्ट टर्मिनल विकसित कर रहा है, जिसे अमेरिकी सरकार का समर्थन मिला है। अमेरिकी सरकार अडानी के इस प्रोजेक्ट में 553 मिलियन डॉलर यानी करीब 4500 करोड़ रुपये लगाने जा रही है। अडानी को लोन देने से पहले अमेरिका पूरी जांच कर लेना चाहती है। इसी के तहत अमेरिकी सरकार ने अडानी के खिलाफ हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच की, जिसमें उसे क्लीनचिट दे दिया।

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अमेरिकी सरकार ने हिंडनबर्ग के आरोपों को गलत बताया

आपको बता दे कि Adani Group श्रीलंका में पोर्ट विकसित कर रहा है। जिसमें अमेरिकी सरकार भी मदद कर रही है। ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से दक्षिण एशियाई देश में चीन का प्रभाव कम होगा। वहीं अब इस प्रोजेक्ट को अमेरिकी सरकार के तरफ से लोन मिलने जा रहा है। वहीं लोन देने पहले अमेरिकी सरकार ने हिंडनबर्ग के आरोपों को गलत बताते हुए हिंडनबर्ग के आरोप बेतुके है। जिस रिपोर्ट ने साल के शुरुआत में अडानी समूह को 100 करोड़ रुपये से अधिक का झटका दिया, अब उस हिंडनबर्ग की मंशा पर सवाल उठ रहा है।

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