UP: वरिष्ठ IAS अधिकारियों की कमी से जूझ रहा उत्तर प्रदेश, राज्य की प्रशासनिक मशीनरी पर बढ़ता दबाव

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
IAS

UP News: उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ आईएएस (IAS) अधिकारियों की कमी के चलते राज्य के महत्वपूर्ण विभागों का संचालन प्रभावित हो रहा है। राज्य में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, और सचिव स्तर के कुल 148 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 98 अधिकारी ही इन पदों पर तैनात हैं। यह कमी प्रशासनिक कार्यों में तेजी से सुधार की राह में एक बड़ी बाधा बन रही है।

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प्रमुख सचिव स्तर के 36 में से 29 पद ही भरे

उत्तर प्रदेश में प्रमुख सचिव स्तर के 36 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से केवल 29 पर ही अधिकारी कार्यरत हैं। इसी तरह, सचिव स्तर के 96 पदों के मुकाबले सिर्फ 58 अधिकारी ही जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। अपर मुख्य सचिव स्तर पर 16 स्वीकृत पदों के लिए केवल 11 अधिकारी उपलब्ध हैं, जिसमें से भी दो वरिष्ठ अधिकारी—डॉ. रजनीश दुबे और नितिन रमेश गोकर्ण—अगले कुछ महीनों में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। तीसरे अपर मुख्य सचिव, एसपी गोयल, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की तैयारी में हैं, जिसके लिए राज्य सरकार ने एनओसी भी जारी कर दी है।

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केंद्रीय प्रतिनियुक्ति और सेवानिवृत्ति ने बढ़ाई मुश्किलें

हाल के महीनों में कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा चुके हैं। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आद्रा वामसी की अर्जी हाल ही में मंजूर हुई है, जबकि सुजीत कुमार पहले ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा चुके हैं। इसके अलावा, 31 जुलाई को कई वरिष्ठ अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए हैं, जिससे राज्य में अधिकारियों की कमी और बढ़ गई है।

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केंद्र सरकार से बार-बार अनुरोध के बावजूद समाधान नहीं

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य का कोटा पूरा करने के लिए केंद्र सरकार से कई बार अनुरोध किया है। लेकिन अभी तक केंद्र की ओर से इस समस्या का कोई ठोस समाधान नहीं मिल पाया है। इस बीच, कई वरिष्ठ अधिकारी एक से अधिक विभागों का कार्यभार संभालने को मजबूर हैं, जिससे प्रशासनिक दक्षता पर असर पड़ रहा है।

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1990 से 2005 तक की तैनाती में कमी ने बढ़ाई समस्या

1990 से 2005 के बीच यूपी कैडर में आईएएस अधिकारियों की तैनाती में कमी रही, जो आज की स्थिति के लिए जिम्मेदार है। इन वर्षों के दौरान यूपी को बेहद कम संख्या में आईएएस अफसर मिले। उदाहरण के लिए, 1991 में पांच, 1992 में दो, 1993 में तीन, और 1994 में केवल चार अफसरों को यूपी कैडर मिला था। इसके बाद भी, 1997 से 2005 तक तैनाती की संख्या काफी कम रही, जिससे राज्य में अफसरों की कमी का यह संकट गहराता गया।

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2011 के बाद आईएएस तैनाती में बढ़ोतरी

हालांकि 2011 के बाद यूपी में आईएएस अफसरों की तैनाती में कुछ सुधार हुआ, जब औसतन 16-20 अधिकारियों को हर साल कैडर अलॉट किया जाने लगा। लेकिन यह संख्या राज्य के विशाल आकार और बढ़ती जिम्मेदारियों के मुकाबले अभी भी अपर्याप्त है। प्रदेश में कुल 652 आईएएस अफसरों की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में केवल 560 अधिकारी कार्यरत हैं।

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बेहतर प्रशासन के लिए आवश्यक कदम

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में आईएएस अधिकारियों की कमी से प्रशासनिक कार्यों पर गहरा असर पड़ रहा है। राज्य सरकार को केंद्र से मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढने की दिशा में तेजी से कदम उठाने होंगे। इसके अलावा, नए अधिकारियों की तैनाती के लिए लंबी अवधि की योजना बनानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचा जा सके। राज्य के विकास और प्रशासन की कुशलता के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि सभी महत्वपूर्ण पदों पर योग्य और पर्याप्त संख्या में अधिकारी मौजूद हों।

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