Madrassas of UP: उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने मंगलवार को प्रदेश के 513 मदरसों की मान्यता समाप्त करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। यह निर्णय मदरसा बोर्ड की कार्यकाल की अंतिम बैठक में लिया गया। इन मदरसों में से अधिकांश ने खुद ही मान्यता समाप्त करने के लिए बोर्ड में अर्जी दी थी, जबकि कुछ मदरसों का संचालन नहीं हो रहा था और कई मदरसों ने मानक से कम छात्र-छात्राओं की वजह से यू-डायस पर फीडिंग नहीं की थी।
मान्यता समाप्त करने की वजहें
उत्तर प्रदेश में मान्यता प्राप्त कुल 16,460 मदरसों में से 560 अनुदानित हैं। मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने बताया कि झांसी के 242 और मऊ के 10 मदरसों ने स्वयं ही मान्यता समाप्त करने के लिए बोर्ड को पत्र भेजा था। अंबेडकरनगर के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने 234 मदरसों की मान्यता समाप्त करने की सिफारिश की थी। इनमें से अधिकांश मदरसों ने यू-डायस कोड के जरिये विद्यार्थियों के दस्तावेज वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए थे।
मदरसा आधुनिकीकरण योजना
मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि अधिकांश मदरसों में मदरसा आधुनिकीकरण योजना संचालित थी। इस योजना के तहत शिक्षकों का पांच साल का वेतन बकाया है और योजना को अब खत्म कर दिया गया है। मदरसों में विद्यार्थियों की संख्या में कमी भी एक कारण हो सकता है। इसके अलावा, कुछ मदरसें अन्य बोर्डों से मान्यता लेना चाहते हो सकते हैं।
बैठक में लिए गए अहम फैसले
मदरसा शिक्षा परिषद की बैठक में वर्ष 1995 से लेकर अब तक के रिजल्ट वेबसाइट पर अपलोड करने का प्रस्ताव भी मंजूर किया गया। वर्तमान में बोर्ड की वेबसाइट पर वर्ष 2018 से अब तक की मार्कशीट अपलोड की गई हैं। बैठक में तय हुआ है कि 2018 से पहले की सभी मार्कशीट को चरणबद्ध तरीके से ऑनलाइन किया जाएगा। इसके साथ ही, प्रदेश के 560 अनुदानित मदरसों के लिए एक मॉडल प्रशासन योजना अनुमोदित की गई है, जिससे सेवा और अनुशासन संबंधी मामलों का समाधान सुगम होगा।
अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव
बैठक में अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर भी चर्चा की गई, जिसमें मदरसा पोर्टल पर पंजीकरण से छूटे मदरसों को जोड़ने की अनुमति का प्रस्ताव शासन को भेजना, बोर्ड का बजट बढ़ाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजना, परीक्षा फरवरी 2025 में संपन्न कराने और मदरसा मिनी आईटीआई योजना में सुधार के लिए समिति का गठन करना शामिल है। उत्तर प्रदेश के मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा 513 मदरसों की मान्यता समाप्त करने का निर्णय एक बड़ा कदम है, जो मदरसा आधुनिकीकरण योजना और मदरसों में घटती छात्र संख्या के कारण लिया गया है।